मेरी कहानी

खुद की कहानी खुद को सुनाते रहे
हम अपने आप पर इतराते रहे
दर्द था जीवन में और कराहते रहे
फिर भी मुस्कराते रहे
हर चोट को सहलाते रहे
जीवन कितना मुश्किल है
बाद में पता चला
मुश्किलों से मन बहलाते रहे
हर नया दिन, एक नया संघर्ष था
हर दिन होली, रात दिवाली मनाते रहे
हर दिन जीना, हर दिन मरना
इस एहसास से अपने आपको भरमाते रहे
उम्मीद थी, विश्वास व धैर्य था
अंततः जीत को गले लगाते रहे
 


तारीख: 23.06.2024                                    प्रतीक बिसारिया




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