मिला है जम-जम भी बादिया से

Hindi Kavita Sahitya manjari Akib AJved

मिला है जम-जम भी बादिया से
मिली है जिसको रिज़ा ख़ुदा से

नफ़ा  मिलेगा  तुम्हें  दवा से
कुबूल  होती है सब दुआ से

उरूज में आज वो है अपने
ज़लील करता है फैसला से

ख़ुदा की नेमत है बन के आयी
बेटी को उड़ने दो हौसला से

शमा जली है पिया के लौ से
नही बुझेगी किसी हवा से

अज़ीम रहबर है दो जहाँ का
असास मजबूत है ख़ुदा से

भुला के उसको बे कस है 'आकिब'
जहान है  ज़िक्र- ए - ख़ुदा से।।


तारीख: 10.01.2024                                    आकिब जावेद









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