मिथिलादेश

जनक नंदिनी जानकी माता मैं हूं तेरा लाल
एक बार में लगता है ऐसा सौ बार जन्म हो माता
देवल्लायत इस धरती आया मै माता
मीठी बोली सब सचे कहाँ में पता माता

भारतवर्ष की इस भूमि पर तरसता है आनेवाला
किस-2 पथ पर जाऊ असमंजस मे हूं माता
अलग अलग पावन लेकिन हृदय भोला भाला
हाथ पकड़ सिखु चलना तेरा ना पाउ जग सरा

सुख के आंगन दुख तरशे असुर भयावनि जहाँ माता
धुल तेरे चरणो के अगले जन्म होऊ तेरा लाला
ये अंतिम बंदन जीवन अर्पण है माता
परमात्मा देना एक जीवन देख सँकू देवभूमि विख्याता

मेरी अंतिम छन हो ऐसी जैसे विधापति गंग धारा

मेरी पंचतत्व मिलन छन हो आँचल मिले तेरा माता
मेरे मुख से माँ वाणी देव की हो भाषा
उगना-2 कहते मर जाऊ स्वर्ग नही अभिलाषा

मेरे मुख पटल ऐसे मुसकुराये और दुनिया मे दुख छाया
आह वो जीवन जिसमे सोभित कल्प पाहुन राम की छाया
देना मुझको भाषा वो जिसमे हो पग पग प्रेम की भाषा
जनक नंदिनी जानकी माता मैं हूं तेरा लाल


तारीख: 15.04.2024                                    विधा नन्द सिंह









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