शब्दांत

 

खत्म होना,

शब्दों में रूचि का

वाणी में प्रसार का

नहीं खतरनाक,

नहीं मृत्युसम!

जैसे नहीं है खतरनाक

अंतरिक्ष की चुप्पी

जैसे नहीं मृत्युसम

मौन मेंं फूलों का खिलना

जैसे नहीं है खतरनाक

चुपचाप अश्रुओं का लुढ़कना

जैसे नहीं मृत्युसम

होंटों का वापस सिमटना

जैसे नहीं है खतरनाक 

पहाड़ों की स्तब्धता

जैसे नहीं मृत्युसम 

प्रेम में निशब्दता

जैसे नहीं है खतरनाक

बसुधा का सहना

जैसे नहीं मृत्युसम

अंधकार का बहना

जैसे नहीं है खतरनाक

निद्रा की समाधि

जैसे नहीं मृत्युसम

मृत्यु का आदि

शब्दों में रूचि का

वाणी में प्रसार का

खत्म होना

खत्म होना नहीं वैसे ही

नहीं खतरनाक!


तारीख: 15.04.2020                                    पुष्पेंद्र पाठक









नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है