न आना इस देश में लाडो, ये देश ही तुझे छल जायेगा,
हर कोई यहाँ आकर तेरी अस्मिता का मोल लगाएगा
तेरे नन्हे कदमों को, ही हथियार बनाएंगे
क्यों देहलीज़ थी लाँघि तुझको ही दोषी गिनवाएँगे ||
तेरी चंचल मुस्कान पे, इलज़ाम कई लग जायेंगे
तेरी मीठी बोली को वो कंठ में ही दबाएंगे ||
तेरे उजले कपड़ो पर, खूनी रंग फैलाएंगे
सूखा के अपनी आँख का पानी खुद तुझको बेशर्म बतायेंगे ||
दो धर्मो में बाँट देंगे, ऊँच नीच में नाप लेंगे
किस मिट्टी किस आँगन की तू तुझे कोख में ही मार देंगे ||
न आना इस देश में लाडो, ये देश ही तुझे छल जायेगा,
हर कोई यहाँ आकर तेरी अस्मिता का मोल लगाएगा