बारिश
होने को है यहाँ,
और मुझे याद आ रहा है
तुम्हारा धीमे से कहना
"मौसम सुहाना हो रहा है!"
और वो एक अहसास
जो दिलों में महक उठता था।
ख़ैर अब ये बारिश,
वो बारिश ही नहीं लगती,
ये बादलों की बरसती खलिश लगती है।
बादल और बारिश को
शिकायत है तुमसे, मुझसे
और 'हम' से।