तेरी परछाई हूँ

तेरी परछाई हूँ
नहीं हूँ जुदा तुझसे, मैं तेरी परछाई हूँ
तेरी खुशनसीबी और तेरा अक्स हूँ|

जीवन की ढलती शाम का इक सूरज हूँ
रहूँ कितना भी दूर तुमसे, तेरा ही साया हूँ|

दुखों की आंधी में सुखों का काफिला हूँ
पतझड़ के मौसम की इक न ई आभा हूँ|

जिंदगी के सफर में एक सुहावना गीत हूँ
मुरझाए होठों की एक नई मुस्कान और प्रीत हूँ|

थकते पावों की थकान मिटा दे वो राहत हूँ
मैं सांझ तेरे जीवन की रोशन ए बहार हूँ|


तेरे लबों की एक अनकही खामोशी हूँ
पास ना होकर भी सदैव तेरे साथ हूँ|


दुनिया की भीड़ में तेरा अपना साथी हूँ
जीवन की नाव को ढो सकें वो खिवैया हूँ|

बांट सके जो तेरा दुख दर्द, वो हिस्से दार हूँ
तेरी मुश्किलें कर दे जो आसान वो किस्से दार हूँ|

दूर तलक जब साथ ना दे कोई, मौजूद सदैव मैं हूँ
तेरी राहों को गुलशन से महकाए, वो फूल हूँ.|


तारीख: 08.02.2024                                    रेखा पारंगी









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