वो एक लम्हा
जब मौत आकर खड़ी होगी ठीक मेरे सामने
जब मेरा हर दुनियावी रिश्ता
अंतिम सांस ले रहा होगा
लोगों की उम्मीदें जब मुझसे
आखिर टूट चुकी होगी
वो एक लम्हा
जब मै हो जाऊँगा खालिस
जहाँ मेरे ऊपर लादे गये सब बोझ
एकदम से झटक दिए जायेंगे
एक शोर जो लिपटा रहा सारी उम्र मुझसे
आखिर जब थम जायेगा
और मैं हो जाऊँगा एकदम रिक्त
हर वो आवाज़ जो मेरे लिए गढ़ी गई थी
सबकी सब समाप्त हो जायेगी जब
बंजर जिंदगी में फूल उगाने का
मेरा पागलपन जब ठीक हो जायेगा
और निकल आऊँगा जब मैं
रेत उड़ाता हुआ रेगिस्तान की तपिश से बाहर
वो एक लम्हा
जब मेरी पलकों के किनारें बैठा
एक आँसू
सारी उम्र
इसी इंतजार में रहा
कि मेरे अंतर्मन की उदासी को बहा ले जायेगा
वो एक ही लम्हा
होगा जब मै तुम्हें
जी भर के चाह सकूँगा
तेरी सारी मुस्कुराहटों की तस्वीरें
मेरी आँखों मे इंद्रधनुष बनाती हुई गुजर जायेगी
तेरी खुशबू को जो तरस गई थी मेरी सांसे
उस एक लम्हें में
आखिर महक उठेगी
वो एक लम्हा
जो मेरी जिंदगी और मौत के बीच
एकमात्र क्षण होगा है
उसी एक लम्हें में
मै करूँगा तुमसे
प्रणय-निवेदन
और फिर...
वो लम्हा बीत जायेगा