कैसी विडंबना है


आज ही सुबह जब बेटे की ऑनलाइन क्लास में बेटे की अध्यापिका GOOD MANNERS का पाठ पढ़ा रही थी। अध्यापिका बच्चों को BE KIND WITH ANIMALS की सीख दे रही थीं।
                            क्लास खत्म होने के  बाद जब मैं बेटे से पूछने लगी,"मैम, ने क्या बताया आपको?"बेटे ने अपनी तुलतुलाती प्यार भरी भाषा में जवाब दिया, "BE KIND WITH ANIMALS ".मैं बेटे को बताने लगी हमें किसी भी जानवर को मारना या परेशान नहीं करना चाहिए। 
तब मासूमियत भरे लहजे में बेटे ने उत्तर दिया ,-"मम्मा,अब मैं जब भी ANTS को देखूँगा तो कहूँगा, ants पहले आप जाओ। उस समय मुझे बेटे की इस मासूमियत पर फक्र हुआ और तभी फेसबुक scroll करते हुए बहुशिक्षित राज्य केरल के एक गाँव मल्लिपुरम् में एक गर्भवती हथिनी बेमौत मारी गयी, ये न्यूज़ पढ़ती हूँ। 
             कसूर इतना था कि बेजुबान गर्भवती हथिनी, मनुष्य को मनुष्य समझने की गलती कर बैठी।
सहसा लगा,-"मैं मनुष्य क्यूँ हूँ?" थोड़े खाने के बदले किस बुद्धिमान मानव की मानवता ने गर्भवती हथिनी के मुँह में बारूद भर दिया? आह!.......ऐसा लिखते हुए भी दिल बैठा जा रहा है। 
  सोचने लगी ,मुँह में इक छाले भर से स्वयं को पृथ्वी का बुद्धिमान कहने वाला मनुष्य कितना परेशान हो जाता है और चीख-चीख कर अपने मामूली दर्द सबसे कहता है।
लेकिन वो बेजुबान मासूम गर्भवती हथिनी किससे अपने दर्द कहने गयी होगी?
बहती हुई पेरियार नदी के पानी से? या गर्भ में पल रहे अपने शिशु से?
                पढ़े-लिखे,सबसे बुद्धिमान होने का दम्भ भरने वाले मनुष्य की मनुष्यता किसके लिए है? स्वयं के लिए, समाज के लिए या ईश्वर का दिया सबसे अद्धभुत उपहार प्रकृति के लिए? शायद किसी के लिए नहीं। हालांकि, सभी मनुष्य ऐसे नहीं। 
     एक माँ और एक मनुष्य ( मनुष्य कहते हुए स्वयं को शर्म आ रही है) होने के नाते मैं अपने अनुभव से कह सकती हूँ कि गर्भ में पल रहे शिशु के साथ, होने वाली माँ आने वाले शिशु को लेकर अनगिनत सपने बुनने लगती हैं। 
कौन-सा मानव और उसकी मानवता हिसाब दे पाएगा, उस बेजुबान गर्भवती हथिनी के गर्भ में पल रहे शिशु को लेकर, हथिनी के अधूरे ख्वाब को? इन सबके बीच, मैं
ईश्वर से प्रार्थना करती हूँ, मेरे बेटे की मासूमियत बचाए रखना। 
एक माँ 


तारीख: 07.03.2024                                    अदिति शंकर









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