साहित्य मंजरी की यात्रा: एक दशक का संघर्ष और सफलता

sahitya manjari

साल 2013 की बात है, जब मैंने और मेरे मित्र ने मिलकर एक सपना देखा—एक ऐसा मंच बनाने का, जहाँ हिन्दी साहित्य के लेखकों और कवियों को अपनी रचनाएँ साझा करने का एक आधुनिक डिजिटल प्लेटफार्म मिल सके। इस सपने को हकीकत में बदलने के लिए हमने "साहित्य मंजरी" की शुरुआत की। शुरुआत के दिनों में, मैंने HTML और CSS जैसी तकनीकों को खुद सीखा। कई रातें जागकर, वेबसाइट के डिज़ाइन पर काम किया। मेरे मित्र ने अपने नेटवर्क का उपयोग करके मित्रों और परिचित कवियों और लेखकों से उनकी रचनाएँ मंगवाईं। हमारा उद्देश्य था कि साहित्य मंजरी न केवल नए और उभरते रचनाकारों को मंच दे, बल्कि यह आधुनिक डिज़ाइन में हिन्दी साहित्य का एक डिजिटल संग्रह भी बने।

पहले कदम और शुरुआती सफलता (2013-2016):

शुरुआती तीन सालों तक हमने अथक मेहनत की। दिन-रात काम किया और धीरे-धीरे हमें साहित्यिक समुदाय से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलने लगी। साल 2016 तक, हमारे प्लेटफार्म पर 1000 से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके थे, और हमारे साथ 100 लेखक जुड़ चुके थे। इस बीच, हमारी फेसबुक पेज की पहुँच भी 10 हजार से अधिक हो चुकी थी, जिससे हमें और भी प्रोत्साहन मिला। उसी वर्ष, हमने साहित्य मंजरी का यूट्यूब चैनल भी शुरू किया, जहाँ हमने हिन्दी कविता, कहानियों और साहित्य से जुड़े अन्य विडियो प्रस्तुत किए।

विकास और चुनौतियाँ (2016-2020):

चूंकि हमारी वेबसाइट से ज्यादा राजस्व उत्पन्न नहीं होता, हमें बहुत सारा काम खुद करना पड़ता है। पहले हमारे पास कुछ स्वयंसेवक थे जो हमारे लिए लेखों की समीक्षा और अपलोड करते थे, लेकिन बिना भुगतान के यह काम बहुत दिनों तक जारी रखना कठिन था। हम अभी उस स्थिति में नहीं हैं कि हम किसी को भुगतान कर सकें, क्योंकि जो भी राजस्व उत्पन्न होता है, वह सर्वर और होस्टिंग के खर्चों में चला जाता है। 

साल 2020 तक आते-आते, साहित्य मंजरी एक महत्वपूर्ण साहित्यिक मंच बन चुकी थी। हमारे पास 1500 से अधिक लेखक जुड़ चुके थे, और वेबसाइट पर 5000 से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके थे। फेसबुक पेज के फॉलोअर्स 35 हजार को पार कर गए थे और हमारी वेबसाइट पर लाखों की संख्या में विजिटर्स आने लगे थे। लेकिन उसी समय COVID-19 की महामारी ने हम पर भी असर डाला। साथ ही, इस दौरान मैं और मेरे मित्र दोनों की शादियाँ हो गईं, और हमारे करियर में भी उतार-चढ़ाव शुरू हो गए, जिसमें नौकरी से छंटनी और परिवार की स्वास्थ्य समस्याएँ शामिल थीं।

मंदी और कठिनाइयाँ (2020-2022):

साल 2020 से 2022 का समय हमारे लिए बेहद कठिन साबित हुआ। हमारा वेबसाइट अपडेट्स में निरंतरता लाना मुश्किल हो गया था। हमें हर महीने 500 से अधिक ईमेल मिलते थे, जिनमें से कई कविताएँ और लेख गुणवत्ताहीन होते थे, जिनकी संपादन और समीक्षा में बहुत समय लगता था। धीरे-धीरे, हमने अपनी नियमितता खो दी, और कई लेखकों की रचनाएँ महीनों तक हमारी इनबॉक्स में पड़ी रहीं। अंततः, साल 2022 में, हम अपने होस्टिंग प्रदाता को भुगतान करने में असमर्थ रहे, और उन्होंने हमारी वेबसाइट को हटा दिया। हमारी वेबसाइट लगभग एक साल तक बंद रही। यह एक ऐसा समय था जब हमने मानो हार मान ली थी।

फिर से नई शुरुआत:

लेकिन फिर मैंने सोचा कि इस वेबसाइट को जीवन के 10 साल दिए हैं, और यह मेरे लिए एक बच्चे के समान है। मेरे भीतर एक बार फिर से साहस जागा और मैंने इसे पुनः जीवित करने का फैसला किया। हम जानते हैं कि यह एक लंबी यात्रा है, लेकिन हमने इसे एक बार फिर से शुरू करने का साहस किया है, और अब यह हमारी नई शुरुआत है।

हमारी वेबसाइट को पुनर्जीवित करने की प्रक्रिया एक कठिन लेकिन ज़रूरी कदम था। मैंने पुराने बैकअप की तलाश शुरू की और हमें 2021 का बैकअप मिला, जिसका मतलब था कि हमने लगभग एक साल की सामग्री खो दी थी। यह हमारे लिए एक बड़ा झटका था। लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी और सभी खोई हुई रचनाओं को फिर से ईमेल के माध्यम से प्राप्त कर उन्हें वेबसाइट पर प्रकाशित किया।

इस बार मैंने वेबसाइट के डिज़ाइन को और आधुनिक बनाने पर काम किया। नई थीम, थंबनेल्स, और ऑटोमेशन पर ध्यान दिया ताकि हमारे काम का बोझ थोड़ा कम हो सके। हमने एक नया सिस्टम विकसित किया, जहाँ अब रचनाकार हमारी वेबसाइट पर अपना खाता बनाकर सीधे अपनी सामग्री अपलोड कर सकते हैं। इसने हमारे लिए समय की बचत की, क्योंकि अब हमें हर लेख को मैन्युअल रूप से अपलोड नहीं करना पड़ता, बल्कि सिर्फ उसकी समीक्षा करनी होती है।

हमारा इरादा है कि हम धैर्य के साथ इस प्लेटफ़ॉर्म को आगे बढ़ाते रहें और पुराने और नए लेखकों के विश्वास को फिर से जीतें।

हमारी कुछ उपलब्धियाँ 

पिछले 11 सालों में हमने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। हमने कई नए और शौकिया लेखकों को मार्गदर्शन देकर उन्हें हिंदी साहित्य के परिपक्व लेखक बनने में मदद की है। भले ही हमारा सफर बहुत नियमित न रहा हो, लेकिन

  • हम इस बात पर गर्व महसूस करते हैं कि हमने कई उभरते हुए लेखकों को एक मंच दिया है और उनकी रचनात्मकता को सही दिशा दी है।
  • हमारे कई रचनाकार ऐसे हैं जो हमारे साथ जुड़कर लिखते लिखते अब अपनी किताब भी प्रकाशित करवा चुके हैं
  • हमें इस बात पर भी गर्व है कि हमारी एक कविता संसद में भी पहुँची, और प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने हमारे कवि प्रमोद राजपूत की कुछ पंक्तियों को संसद में उद्धृत किया।
  • हमारी एनआरआई लेखकों की भी एक बड़ी संख्या है जो हमारे माध्यम से अपनी संस्कृति और लोगों से जुड़ते हैं।

 

हम उम्मीद करते हैं कि हम इसी तरह छोटे-छोटे कदमों से आगे बढ़ते रहेंगे और "साहित्य मंजरी" को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाएँगे। साहित्य मंजरी की यह यात्रा न केवल हमारे व्यक्तिगत संघर्षों की कहानी है, बल्कि यह हिन्दी साहित्य के प्रति हमारे समर्पण का प्रतीक भी है। हमारी कोशिश रहेगी कि हम फिर से इसे एक महत्वपूर्ण साहित्यिक मंच बनाएँ और हिन्दी साहित्य के नए और पुराने रचनाकारों को एक आधुनिक और व्यापक मंच प्रदान करें।
 


तारीख: 05.10.2024                                    साहित्य मंजरी टीम




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