तनाव से भाग लो या तनाव में भाग लो।

तनाव एक ऐसी मानसिक स्थिति या मानसिक विकार है, जिसमे व्यक्ति को उदासी, अकेलापन, निराशा, कम आत्मसम्मान, और आत्मप्रतारणा महसूस होती है।
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में तनाव एक आम समस्या बन चुकी है। छोटे से लेकर बड़े तक, आज हर तीसरा व्यक्ति इस समस्या से जूझ रहा है। वर्तमान में बच्चों से लेकर बुजुर्ग हर कोई तनाव से ग्रसित है। तनाव की स्थिति तब होती है, जब हम दवाब लेने लगते हैं और दिमाग के हर पहलू पर नकारात्मक रूप से सोचने लगते हैं। यह समस्या शारीरिक रूप से कमजोर करने के साथ-साथ भावनात्मक रूप से भी आहत करती है। इससे ग्रस्त व्यक्ति न तो ठीक से काम कर पाता है और न ही अपने जीवन का खुलकर आनंद उठा पाता है। कार्यशैली और संबंधों पर बुरा असर पड़ने के चलते उसमें जीने की इच्छा भी खत्म हो जाती है। जाहिर है कि तनाव में रहने वाले अधिकतर लोग आत्महत्या की ओर कदम बढ़ा लेते हैं।
यूं तो मनुष्य का उदास या निराश होना स्वाभाविक है, लेकिन जब ये एहसास काफी लंबे समय तक बना रहे तो समझ जाइए कि वो तनाव की स्थिति में है। यह एक ऐसा मानसिक विकार है, जिसमें व्यक्ति को कुछ भी अच्छा नहीं लगता। उसे अपना जीवन नीरस, खाली-खाली और दुखों से भरा लगता है। प्रत्येक व्यक्ति को अलग-अलग कारणों  से तनाव हो सकता है। किसी बात या काम का अत्यधिक दवाब लेने से यह समस्या पैदा हो जाती है। अगर तनाव का समय रहते इलाज न कराया जाए तो यह धीरे-धीरे व्यक्ति को डिप्रेशन में डाल देता है।
      तनाव पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। बदलते सामाजिक परिवेश में महिलाएं बड़े पैमाने पर तनाव की शिकार हो रही हैं। इनमें कामकाजी महिलाओं की तादाद सबसे अधिक है। जहां घरेलू महिलाओं को घर के माहौल से तनाव होता है, वहीं कामकाजी महिलाएं घरेलू व बाहरी दोनों कारणों से तनाव की शिकार हो रही हैं।
समस्या तनाव नहीं बल्कि तनाव को मैनेज न कर पाना है क्योंकि तनाव को मैनेज करना हमने सीखा ही नहीं है। तनाव के समय हमें तुरंत प्रतिक्रिया न करके पहले समझना चाहिए, फिर प्रतिक्रिया करनी चाहिए। तब अवश्य ही तनाव का समाधान निकलेगा। तनाव कम मात्रा में हमेशा सही और प्रोत्साहित करने वाला होता है और यह में सर्वश्रेष्ठ करने के लिए हमेशा प्रेरित करता है। ये तनाव ही हैं जिसकी वज़ह से हम निर्धारित समय पर कामों को पूरा कर पाते हैं, कम्पटीशन एग्जाम में सफल हो पाते हैं, नौकरी में प्रोमोशन पाते हैं और विपरीत परिस्थितियों का सामना कर पाते हैं।
       अधिक तनावपूर्ण कार्य करने वाले प्रोफेशनल जैसे डॉक्टर, नर्स, वकील, पायलट, पत्रकार इत्यादि महान शख्सियत है। जिनके रोजमर्रा जीवन में तनाव अधिक रहता है, ये सभी इस तनाव को महसूस तो करते हैं मगर अपने ऊपर हावी नहीं होने देते। ये लोग अपने प्रशिक्षण और मानसिक बुद्धिमता से तनाव को अपनी कार्यशैली का अभिन्न अंग बनाकर इस पर विजय हासिल कर लेते हैं। इसके लिए ये सभी अपने दिमाग को ज्यादातर समय व्यस्त रख कर अपने दिमाग का दृष्टिकोण ही बदल देते हैं। इसका मतलब यह भी नहीं है कि उपरोक्त सभी तनावमुक्त ही हो। इनमें से जो लोग ऐसा करने में असफल हो जाते हैं, तनाव पूर्ण रूप से उन्हें अपनी चपेट में ले लेता है। आए दिन हम मीडिया और अखबार में देखते हैं कि डॉक्टर,  पत्रकार ने आत्महत्या की।
रिकार्ड उठाकर देख लीजिए खिलाड़ियों ने अपना सर्वश्रेष्ठ ओलंपिक खेलों या किसी अन्य बड़ी प्रतियोगिता में ही दिया है जितनी बड़ी प्रतियोगिता उतना बड़ा तनाव और उतना ही बेहतरीन प्रदर्शन। याद रखिए कोयला पृथ्वी के गर्भ में दबाव और तनाव के कारण ही हीरे में बदलता है।

तनाव हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हालांकि कुछ हासिल करने के लिए परेशानी चिंताओं की गंभीरता निश्चित रूप से हमें लक्ष्य की ओर ले जाती है लेकिन यदि जीवन के तनाव अत्यधिक होने लगे तो यह मानसिक रोगों को जन्म देता है। 
तनाव के निम्नलिखित प्रकार है।
1.सकारात्मक तनाव- यह तनाव हमें उत्साहित करता हैं। उदाहरण के लिए किसी भी एग्जाम के समय का तनाव, सुबह जल्दी उठने के लिए सोने से पहले का तनाव। यह तनाव लाभकारी माना जाता है। 

2.नकारात्मक तनाव- यह तनाव हमें (डीमोटिवेट) हतोत्साहित करता है। जैसे किसी परीक्षा में फेल होने के बाद का तनाव, प्रियजन की मौत के बाद का तनाव, गंभीर रोग से पीड़ित हो जाने के बाद का तनाव। यह तनाव सबसे ज्यादा हानिकारक होता है। 

3. तीव्र तनाव- ये तनाव बहुत सामान्य और बहुत कम समय के लिए होने वाला तनाव हैं। इस तनाव की तीव्रता अधिक होती है मगर सामान्य रूप से ये नुकसानदायक नहीं होता हैं।
हाल में हुई घटनाओं या निकट भविष्य में होने वाली समस्याओं के बारे में सोचने के कारण होता है। हालाँकि इन समस्याओं के समाधान हो जाने पर ये तनाव भी कम या दूर हो जाता है।

4. एपिसोडिक तीव्र तनाव- कुछ लोग अपने जीवन में बार बार समस्याओं को लेकर चिंतित होते रहते हैं और अक्सर थोड़े थोड़े समय में तीव्र तनाव का अनुभव करते हैं।
जब काम को लेकर बहुत ज्यादा प्रतिबद्धता रहती है तो एपिसोडिक तीव्र तनाव होता है।
अक्सर प्रतियोगी परीक्षाओं के तैयारी करने वाले और मंथली टारगेट पूरा करने वाली नौकरी वाले (बैंकिंग, इंश्योरेंस क्षेत्र) लोग एपिसोडिक तीव्र तनाव के शिकार होते हैं।
इस तरह के तनाव से उच्च हाई ब्लड प्रेशर और हृदय रोग भी हो सकते हैं।

5. चिर (दीर्घकालिक) तनाव-
जब तनाव के कारण दीर्घकालिक (गरीबी, बेरोज़गारी, शादीशुदा संबंध) हो और उनका समाधान जल्दी न हो सके तो वो चिर तनाव (क्रोनिक स्ट्रेस) कहलाता है। ये तनाव सबसे नुकसानदायक तनाव है और यह लंबे समय तक रहता है।
इससे ग्रसित लोगों में आत्महत्या करने, दूसरों के साथ हिंसक व्यवहार करने या दिल के दौरे पड़ने की आशंका बनी रहती है।

तनाव के कारण उत्पन्न स्वास्थ्य समस्याएं और तनाव के लक्षण 
1. अवसाद और चिंता।
2. अनिद्रा की समस्या।
3. दिल की बीमारी।
4. वजन का बढ़ना और घटना।
5. मधुमेह और उच्च रक्तचाप।
6. हर समय नकारात्मक और आत्महत्या जैसे ख्याल दिमाग मे आना।
7. सामान्य से कम या ज्यादा भोजन करना।
8. आत्मविश्वास में लगातार गिरावट आना।
9. कम या अधिक सोना।
10. यादाश्त कमजोर होना या भूल जाना। 
11. परिवार मित्रों से दूरी बनाए रखना (अकेले रहना)।
12. एकाग्रता व ध्यान केंद्रित करने की क्षमता कम हो जाना।
13. वह्म या फोबिया होना।
14. पेट और पाचन संबंधी समस्याएं होना। 
15. सिर दर्द और बालों का झड़ना।
16. प्रजनन संबंधी समस्याएं होना।
17. बेहद संवेदनशील और छोटी-2 बातों पर बुरा मान जाना व कटाक्ष बातों को याद करके दुखी होते रहना।
18. निर्णय लेने की क्षमता कम हो जाना।
19. लगातार रोना और रोने का दिल करना। 
20. नाखून चबाने, बेवजह हँसना, बाल खींचने जैसी हरकते करना।


तनाव होने के प्रमुख कारण 
1. बेरोजगारी 
2. आर्थिक तंगी होना।
3. स्वास्थ्य संबंधी परेशानी या बीमारी।
4. जीवनसाथी को खो देना।
5. तलाक हो जाना या वैवाहिक संबंधो में विषमता होना।
6. नशाखोरी, शराब, इंजेक्शन, नशीली दवाएं।
7. परिवारिक कलह और समस्याओं के कारण।
8. वातावरण और कार्यक्षेत्र के प्रभाव से।
9. प्रेम में धोखा या विफलता मिलना।
10. पढ़ाई में अव्वल आने का दबाव।
11. समय पर नौकरी ना लगना।
12. घरेलु हिंसा का शिकार होना।
13. गर्भपात हो जाना।

तनाव को दूर करने व तनावमुक्त रहने के उपाय
1. तनाव से निजात पाने के लिए सबसे पहले अपनी जीवनशैली में बदलाव लाएं। निरंतर मेडिटेशन, योग और व्यायाम करें। इनसे दिमाग में अच्छे हार्मोन रिलीज होंगे और हम मानसिक और शारीरिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ रहेंगे। 
2. संतुलित आहार का सेवन करें- 
दिमाग का रास्ता पेट से होकर जाता है इसलिए तनावमुक्त रहने के लिए हरी पत्तेदार सब्जी, फल व ड्राई फ्रूट का सेवन करना चाहिए।
3. रात को सोते समय नाक में अनु अॉइल, बादाम रोगन, या गौ घृत की कुछ बूंदे अवश्य डालें। ये दिमाग को तंदरुस्त रखते हैं। 
4. परिवार या दोस्तों के संग छोटे या बड़े हिल स्टेशन पर घूमने जाएं और छोटी-छोटी खुशियां बाँटे। प्राकृतिक खूबसरती के बीच शांति और सुकून मिलेगा। खुली और शुद्ध हवा में सांस लेने से मन-मस्तिष्क दुरुस्त होता हैं। 
5. तनाव के मूल कारण को ढूंढे, उसे पहचान कर उसका निवारण करें। समस्याओं के बारे में सोचने के बजाय उनका समाधान निकालने की कोशिश करें।
6. रात को जल्दी सोने और सुबह सूर्योदय से पहले उठने की आदत डालें।
7. नियमित दिनचर्या में खेलों को शामिल करें।
8. खुद को किसी भी काम लिखने, पढ़ने या घर के बगीचे में व्यस्त रखें, क्योंकि खाली दिमाग शैतान का घर होता है।
9. तनाव को खत्म करने के लिए शराब नशीली दवाएं, इंजेक्शन के इस्तेमाल को तुरंत बंद कर दें क्योंकि ये अल्प समय के लिए तनाव से आराम दे सकते है, लेकिन बाद में स्थाई नई बीमारियों को न्यौता देते हैं। 
10. अपने घर में पालतू पक्षी या जानवर पालें और उनके साथ समय बिताएं।
11. नियमित ईश्वर से प्रार्थना करें और सब कार्य ईश्वर पर सौंप दें। एक शोध के अनुसार आस्तिक लोग नास्तिक लोगों की तुलना में 5 से 10 वर्ष अधिक जीते हैं। आस्तिक व धार्मिक लोग कई तरह के व्यसन और बुरे कर्मों से बचकर चिंता या तनाव से भी बचे रहते हैं।
12. हर वक्त मोबाइल फोन और लैपटॉप जैसे गैजेट से चिपके रहने के बजाय उचित दूरी बनाए रखें।
√ मैसेंजर, ईमेल, व्हाट्सएप आदि के नोटिफिकेशन ऑफ रखे। सोशल मीडिया का प्रयोग कम्प्यूटर या लैपटॉप पर करें।
√ रिंगटोन को बदलते रहें क्योंकि कई बार फोन पर कोई घटना या हादसे की सूचना हमे स्तब्ध कर देती है और फोन की वही रिंगटोन हमे बार बार वही दृश्य याद दिला कर तनावग्रस्त कर सकती है।
√ निजी जानकारी फोटो, वीडियो मोबाइल में न रखें। समय-समय कुछ दिनों के लिए मोबाइल और सोशल मीडिया से दूरी बनाने का प्रयास करें।
13.नेगेटिव न्यूज़ और वीडियो देखने से बचे। मीडिया पर दिखाई जाने वाली 98% खबरें नकारात्मक होती हैं। ये लूट, हिंसा, युद्ध, भ्रष्टाचार, बलात्कार, विस्फोट, मर्डर से त्रस्त होती हैं। 
14. सुबह उठते ही बिस्तर पर अखबार, टीवी, मोबाइल व सोशल मीडिया देखने से परहेज करें। 
15. अधिक क्राइम्स प्रोग्राम और फिल्म न देखें क्योंकि हम जैसे माहौल में रहते हैं, जैसा देखते हैं, वैसा ही हमारे मस्तिष्क पर इसका प्रभाव पड़ता है और हम वैसे ही बन जाते हैं। 
16. भविष्य की बेवजह चिंताओं पर चिंतन करना बंद करें। जैसे कुछ युवक, युवतियां सुंदर है और वह सोचते हैं कि हम उम्र ढलने के बाद ऐसे नहीं रहेंगे तो यह भी तनाव का कारण है।
17. जीवन की परेशानियों को दोस्तों और परिवार के साथ साझा करें। इससे आपकी तकलीफें कम होंगी।
विश्व प्रसिद्ध किताब काईट रनर का पात्र अपने घर के नौकर के बच्चों को अपनी लिखी कहानी सुनाता है। एक आदमी को एक प्याला मिल जाता है। उसमें जब भी उसके आंसू गिरते मोती में बदल जाते। लेकिन वह व्यक्ति बड़ा खुश मिजाज था। मोती पाने के लिए वह उदास रहने लगा। हर वक्त गमगीन होने के बहाने ढूंढने लगा। लालच बढ़ता गया। आखिर में अपने आंसुओं से निर्मित मोतियों के ढेर पर बैठा रो रहा था। उसके हाथ में चाकू था और पास में उसकी बीवी की कटी हुई लाश पड़ी थी। कहानी सुनाकर वह उस बच्चे से पूछता है कि कैसी लगी कहानी, तो बच्चा कहता है, की कहानी तो अच्छी थी। लेकिन आंसुओं को लाने के लिए उस आदमी को क्या प्याज नहीं मिल सकती थी। गमगीन होने और बीवी का कत्ल करने की क्या जरूरत थी।
हम भी ऐसे ही जिंदगी के आसान काम को करने के लिए जटिल रास्ता अपना लेते हैं।प्याज की जगह चाकू का प्रयोग करने लगते हैं।
18. खुद को भी प्रेरित करना सीखे। हम दूसरों को उदाहरण देकर हौसला अफजाई करने में निपुण हैं, लेकिन हम स्वयं को प्रेरित करने में नाकाम हो रहे हैं। 
मन के हारे हार है मन के जीते जीत। 
यह शब्द मेजर सिंह पर फिट बैठते हैं। 
मेरे शरीर का हर हिस्सा टूट चुका है, सिवाय मेरी मुस्कान के। कारगिल युद्ध के विकलांग और चैंपियन मैराथन धावक जिन्होंने यह साबित किया कि युद्ध खत्म भले ही हो जाए लड़ाई और बहादुरी कभी खत्म नहीं होती पाँव हमेशा मांसपेशियों एवं हड्डियों के बने नहीं होते।
एक पैर गंवाने के बाद कृत्रिम पैर से मैराथन चैंपियन ब्लेड रनर धावक कारगिल युद्ध नायक मेजर डीपी सिंह के यह शब्द हमेशा प्रेरित करते हैं। इनके बारे मे अधिक जानकारी के लिए ताकत वतन की हमसे है किताब को पढ़ सकते हैं। 
19. तनाव को ठीक करने के लिए दवाई से ज्यादा सकारात्मक माहौल, विचार और प्रेरक कहानियों का उपयोग करें। सच्चे और अच्छे मित्रों को सहेज कर रखे। जैसे हम कीमती रत्न हीरे को रखते हैं।
20. खुशमिजाज और सकारात्मक सोच वाले लोगों के साथ रहें। नकारात्मक लोगों के साथ उठने-बैठने से बचें, क्योंकि उससे आप भी नकारात्मक बन जाएंगे।
卐 स्वास्तिक को समझे सव+आस्तिक 
सव मतलब स्वयं (हम खुद) और आस्तिक मतलब विश्वास रखने वाला। स्वास्तिक का अर्थ हुआ अपने आप में विश्वास रखने वाला। 
हम मनुष्य सामाजिक प्राणी है और हमें समाज और आध्यात्मिक चीजों से जुड़े रहना चाहिए। दुनिया के सबसे खुशहाल लोग वो नहीं होते जिनके पास सब कुछ सबसे बढ़िया होता है, बल्कि खुशहाल वो होते हैं जिनके पास जो होता है उसे ही अच्छे से उपयोग करते हुए खुशहाल जीवन जीने का भरपूर आनंद लेते हैं।।

सारांश (Sum)
तनाव से आजकल हर कोई ग्रसित है। सभी शारीरिक और मानसिक परेशानियों की जड़ तनाव ही है।
एक सामान्य सा लगने वाला तनाव भी कई बीमारियों को जन्म देता है, जिनसे छुटकारा पाना आसान नहीं होता है। इसलियें छोटी-छोटी बातों को मन पर हावी न होने दें।
किसी घटना को लेकर अपने मन में स्वयं ही कोई परिणाम न बनने दें।
हो सकता है कि आज जिस घटना से आपको तनाव हो रहा है, भविष्य में वो ही घटना किसी बड़ी सफलता का कारण बने।
हमेशा याद रखें कि जो होता है, अच्छे के लिए होता है।।


तारीख: 11.04.2024                                    राहुल कुमार









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