मेरे भैया मेरे अनमोल रत्न, तेरे बदले मैं ज़माने की कोई चीज़ ना लूँ ..."
अरे, ये तो मंजरी दीदी की प्यारी-सी आवाज़ है... ट्विंकल ने अपने पति, रचित से कहा. हाँ... दीदी ने व्हाट्सप्प ऑडियो के साथ, एक मैसेज भेजा, देखो, कितनी सुन्दर, कोलाज की फोटो भेजी है. बचपन के हर राखी के त्यौहार की यादें हैं इसमें.
और अपनी दीदी का मैसेज पढ़ने लगता है.
इस बार मैं नहीं आ पाऊँगी,
राखी पर, मेरे भैया...
अपनी कलाई सुनी ना रखना,
एक 'शगुन' का धागा, खुद ही बाँध लेना....
पिछले बार की, राखी की, यादों में, दोनों मुस्कुरा देंगे,
वीडियो कॉल के ज़रिये मुंह मीठा करा देंगे...
भाभी को भी कहना, ना हो उदास,
हँसी-ठिठोली को, रखना अपने पास..
दूर हैं तो क्या... पास तो है दिल से,
अगली बार त्यौहार मना लेंगे मिल के...
भेज रही हूँ, प्यार के इंद्रधनुषी रंग,
कुछ पल बिता लेना इसके संग...
अब आँख के कोरों से, इन अश्कों को छिपा लो...
बहुत हो गया अब, ज़रा मुस्कुरा दो..
रचित भावुक होकर अपनी दीदी को मैसेज भेजता है ....
प्यारी दीदी,
दीदी, आप, मेरी बड़ी बहन ही नहीं, मेरी दोस्त, मेरी मार्गदर्शक, मेरी शिक्षक, और मेरी माँ की तरह हो. हमेशा मेरी उंगली पकड़, मुझे, सही राह दिखाई. जुबां से चाहे कुछ ना बोलो, लेकिन, दिल की गहराईयों से बढ़कर प्यार करती हो. बचपन में भी गुल्ल्क को तोड़, सिक्कों को जोड़, मेरे लिए उपहार लाती. मुझे आपकी तरह लिखना तो नहीं आता, लेकिन, आपका और मेरा प्यार किसी दिखावे का मोहताज नहीं. मिलें या ना मिलें, दिल में हमेशा एक दूसरे की याद रहती है. दूर हैं तो क्या.. हमारा प्यार और शुभकामनायें एक दूसरे के लिए कभी कम ना होगी.
ढेर सारे स्नेह के साथ,
आपका भाई,
रचित....
तभी दूसरी और दीदी की तरफ से मैसेज आता है...
उम्र भले ही छोटी है मुझसे,
बातें करता बड़ी सयानी...
तुझसे भी बहुत कुछ सीखा मैंने,
जैसे कोई दादी-नानी...
कैसे ब्यान करूँ मैं, तुझको,
कैसी किस्मत मैंने पाई
भगवान् स्वरूप हैं, मम्मीपापा,
फ़रिश्ते जैसा है भाई...
अनमोल ख़ज़ाने की है चाभी,
सुन्दर सलोनी मेरी भाभी...
हाथ में उनके स्वाद और ज़ायका,
उनसे ही तो है, मेरा मायका...
तेरे मेरे रिश्ते का खूबसूरत गहना,
"रचित" तेरे दिल में रहे तेरी बहना ...
ढेर सारे आशीर्वाद के साथ,