स्वप्न बुनने की उम्र में मैंने बुना उधड़ा हुआ जीवन,
अब मुझे नहीं भाते रेशम के पर्दें मैं खोजती हूँ कपास की पट्टियाँ.
साहित्य मंजरी - sahityamanjari.com