यह दमदार हिंदी कविता छोड़ने का फैसला करने और पीछे छूट जाने के बीच के बारीक फर्क को दिखाती है। यह चुप्पी, भावनाओं को ज़ाहिर करने और खालीपन की कला पर एक सोच है।
🎙️ सुनाने वाले: अंकित मिश्रा
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छोड़ देना एक कला है, और छूट जाना... एक तपस्या।
कुछ कविताएँ तालियाँ नहीं माँगतीं - केवल मौन, प्रतिबिंब और पूर्ण हृदय