आज की शाम मिलेंगे

भीनी भीनी फिजां छलकते जाम मिलेंगे ।
वादा करके गये आज की शाम मिलेंगे ।।

नामावर ने फेंक दिये पैगाम सभी के ।
जाने किसके नाम किसे पैगाम मिलेंगे ।।

ये दर की दीवार आशियां खस्ता हाली ।
टूटे सायेवान इसी के दाम मिलेंगे ।।

जो रिश्ते बदनाम हुये दुनिया दारी के ।
मयखाने में यार साक़ियो जाम मिलेंगे ।।

बिगड़े दिल मदहोश किसी की सुनते कब हैं ।
वह सारे इल्ज़ाम हमारे नाम मिलेंगे ।।


तारीख: 17.06.2017                                    पीयूष शर्मा आशिक









नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है