चेहरा इक तेरा महताब लगता है
कोई महका हुआ शबाब लगता है ।
हाँथ में हाँथ जिसमे हो तेरा मेरा
खूबसूरत वो ख्वाब लगता है ।
देखता तुझको हूँ जो जुल्फ खोले
शहर का मौसम खराब लगता है ।
चाहे जो कहो उसके बारे में
यार मेरा लाजबाब लगता है ।
देखता हूँ जो उसके पीछे कारवां
शहर भर का इंतखाब लगता है ।
सम्हल कर चलना रेत में यारो
जहाँ देखो वहाँ आब लगता है ।
सोचता हूँ कह दूँ दिल की बातें
डर उससे पर बेहिसाब लगता है ।
पूछा जो इश्क़ है मुझसे कितना
आँखों में उनके इताब लगता है ।
नही सहता है कोई अब जुर्म यहाँ
दिलों में आ गया इंकलाब लगता है ।
नही सहता है कोई अब जुर्म यहाँ
दिलों में आ गया इंकलाब लगता है ।