हो गई है रात अब, बात को जाने भी दो,
इन लबो को ज़रा मुस्कुराने भी दो,
माफ़ कर दो हमें तुम, नासमझ जान कर,
सब गिले आज तुम भूल जाने भी दो,
इन लबों पे हँसी किस तरह लाऊं मैं अब,
कुछ नया रास्ता आजमाने भी दो,
तूम कहो तो जां भी देदे आज की इस रात में,
वफायें इश्क़ की ये इम्तहाँ आज हो जाने भी दो,
सब ग़लतफ़हमियाँ दूर करने दो मुझे,
फासलें दरमियाँ अब मिटाने भी दो,
जूल्फ़ छू ले गी तुम्हारी उड़ के चेहरे को मेरे,
इन हवाओं को ज़रा जुल्फों में समाने भी दो,
हाँ बहुत कुछ है जो तुमसे आज कहना है मुझे,
बात दिल की इन लबों से आज खुल जाने भी दो।