कितना मुश्किल होता है

आँसू को पी पीकर हँसना,कितना मुश्किल होता है
दीप सा खुद को जलते रखना, कितना मुश्किल होता है।

जीवन के इस मोड़ पे आकर मुझको ये अहसास हुआ
बीते वक्त का वापस आना,कितना मुश्किल होता है

सुख को ही जिसने भोगा हो दर्दो से जो दूर रहा
उसको दुख के प्याले पीना,कितना मुश्किल होता है

सुख ही सुख तुम जीते हो,शीतलता मे रहते हो
मुझसे पूछो धूप मे तपना,कितना मुश्किल होता है

जिसने सब खैरात मे पाया पूछ रहे हो उससे क्या??
मुझसे पूछो मेहनत करना,कितना मुश्किल होता है

इतने दुःख जीवन में पाकर मुझको ये मालूम हुआ
अपनी ही तकदीर से लड़ना,कितना मुश्किल होता है

आँखो मे आँसू को भरकर घर वालो से छिप छिपकर
तेरी खातिर खत को लिखना,कितना मुश्किल होता है

तुम नदियों से जाकर पूछो, खारे एक समुन्दर को
अपने जैसा मीठा करना,कितना मुश्किल होता है

अपने गम को सह लेता है हर कोई इस दुनिया में
पर दूजे के गम को सहना कितना मुश्किल होता है


तारीख: 14.06.2017                                    पीयूष गुप्ता




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