मुझे भर के अपनी निगाहों में सपने बनाया कर 

मुझे भर के अपनी निगाहों में सपने बनाया कर 
और मेरी नींदों को भी सतरंगी शमां दिखाया कर 

यकीं कर,तुम्हारे जिस्मों-जां पे बस मैं ही छा जाऊँगा
कंदील की तरह मुझे कभी जलाया,कभी बुझाया कर 

हुश्न यूँ आएगा निखर के कि संभालना मुश्किल हो जाएगा   
कभी माँग में सिन्दूर,कभी माथे पे मुझे बिंदी सा सजाया कर 

हर सुबह नूर सा बिखर जाएगा तुम्हारे चेहरे पर देखना 
अपनी बिस्तर में कभी मुझे भी तू सूरज सा जगाया कर 

मैं बेकरार सा हूँ तुम्हारे हुश्न के हर एक जलवे को 
कभी हया तो कभी मदभरी अदाओं से मुझे सताया कर 


तारीख: 07.09.2019                                    सलिल सरोज









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