दो कदम साथ चलिए मेरे

दो कदम साथ चलिए मेरे
फिर हालात  बदलिए मेरे

तन ही सारा छिल जाएगा  
जो ज़ख्मों से गुजरिए मेरे 

जान जाते दर्द की गहराई 
साथ ही डूबिए,उभरिए मेरे 

ज़िन्दगी कोई हादसा लगेगी 
बिखरे ख़्वाबों में चलिए मेरे 


तारीख: 20.08.2019                                    सलिल सरोज









नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है