मुझपर तेरे प्यार का असर भी तो आयेगा
औ ये असर सबको नज़र भी तो आयेगा ।
तड़पकर देखता जो रहूँगा महताब को मैं
खातिर मेरे आँगन में उतर भी तो आयेगा ।
बेशक चल रहा हूँ वीरान से रास्तों पर
मुमकिन है कोई शहर भी तो आयेगा ।
वक़्त का तकाजा है जो चलन में मैं नही
पढूंगा ग़ज़ल मंच से ये हुनर भी तो आयेगा ।
मिले है कांटे अब तक राह ए मंजिल में
फूल हो जिसमे वो रहगुजर भी तो आयेगा ।
पड़ गया इश्क़ में अब मौत से डर कैसा
मेरा यार मुझे देने जहर भी तो आयेगा ।
अपनी हस्ती पर न करना गुरुर कभी रिशु
तुझसे दुनिया में कोई जबर भी तो आयेगा ।