तेरी यादों के सहारे ही जीये जा रहा हूँ,
ये ना समझना मैं तुम्हे भुलाये जा रहा हूँ,
नया साल भी आया तो क्या नया है यहाँ,
आज भी तन्हाई में अश्को को पीये जा रहा हूँ.
ग़म बहुत दिया है बीते वर्ष ने मुझे,
हँसकर मै सभी से छुपाये जा रहा हूँ,
है कुछ भी नही मेरे पास देने को यहॉ,
वफा के परिंदों को उडाये जा रहा हूँ,
समेट रहा हूँ एक-एक करके तेरी यादों को,
उसी के सहारे जिंदगी बीताये जा रहा हूँ,
जख्म तो मिले हैं बहुत मुझे उसपर ‘ देव’,
तेरी मुलाकातों का मरहम लगाये जा रहा हूँ.