ये तुम्हारा मुझको सताना ठीक नहीं
इकरार करके यूँ मुकर जाना ठीक नहीं।
बंदिशे चाहे जो भी हो तेरे आगे
देखकर मुझको नज़र चुराना ठीक नहीं।
जलता हूँ तुझमे पतंगे की तरह मैं
वक़्त पर यूँ लौ को बुझाना ठीक नहीं।
शहर भर में नाम है मेरा तुझसे
अब मेरा नाम खुद से मिटाना ठीक नहीं।
मिली है ज़िन्दगी जो ख़ुशी बांटने को
उसको यूँ बेबजह गवाना ठीक नहीं।
जो ख्वाब पलते हो हकीकत से दूर
उनको पलकों पे सजाना ठीक नहीं।