चलो अच्छा हुआ

चलो अच्छा हुआ बला टल गई
खुबसूरती उसकी मुझे खल गई ।
जाने क्यों मैं फिदा हुआ ही नहीं
गिरते-गिरते ज़िंदगी संभल गई ।
बददुआ रकीबों की हो गई कबूल
वक्त रहते ही दिल से निकल गई ।
दूर से कर रही थीं नज़रे इनायत
पास आते आते नियत बदल गई ।
शुक्र है खुदा का यारों बच गया मै
उसकी फितरत ही उसे छ्ल गई ।
 


तारीख: 11.03.2024                                    अजय प्रसाद









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