मुल्क पर तुम मरो तो सही

प्यार मुझसे करो तो सही
मेरे खातिर लड़ो तो सही

तीरगी खुद ही मिट जाएगी
दीप बनकर जलो तो सही

जग ये पीछे चलेगा मगर
पहले कुछ तुम बनो तो सही

वो मुरादें करेगा पूरी
उसके दर पर झुको तो सही

उन शहीदों के जैसे 'गगन'
मुल्क पर तुम मरो तो सही


तारीख: 14.06.2017                                    पीयूष गुप्ता









नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है