दोस्त बनकर, जिंदगी के मायने बताते थे

gazal by musafir

हमारी ख़ामोशी के लफ्ज़ भी वो समझ जाते थे,
दिल के सन्नाटों में वो दोस्त गूंज बनकर आते थे।


आंखों में छिपे सपनों को पहचानते थे वो,
अधूरे ख्वाबों को हकीकत में सजाते थे।

गिरकर भी उठना उन्होंने हमें सिखाया,
थोड़ी सी मुश्किल में न वो कभी घबराते थे।

खुशियों की राह में अक्सर गम मिला करते थे,
फिर भी हर दर्द में मुस्कुराना सिखाते थे।

जब भी दुनिया से लड़ने की बारी आती थी,
वो अपनी मजबूत बाहों में हमें छुपाते थे।

जिंदगी के हर इम्तिहान में साथ थे वो,
हर खुशी, हर गम में हमें अपना बनाते थे।

वक़्त के साथ चेहरे बदल जाते हैं, मगर,
वो दिलों में रहते थे, दूर नहीं जाते थे।

सीखा गए वो दोस्ती का मतलब हमें,
दोस्त बनकर, जिंदगी के मायने बताते थे।


तारीख: 06.04.2024                                    मुसाफ़िर




रचना शेयर करिये :




नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है