हमारी ख़ामोशी के लफ्ज़ भी वो समझ जाते थे,
दिल के सन्नाटों में वो दोस्त गूंज बनकर आते थे।
आंखों में छिपे सपनों को पहचानते थे वो,
अधूरे ख्वाबों को हकीकत में सजाते थे।
गिरकर भी उठना उन्होंने हमें सिखाया,
थोड़ी सी मुश्किल में न वो कभी घबराते थे।
खुशियों की राह में अक्सर गम मिला करते थे,
फिर भी हर दर्द में मुस्कुराना सिखाते थे।
जब भी दुनिया से लड़ने की बारी आती थी,
वो अपनी मजबूत बाहों में हमें छुपाते थे।
जिंदगी के हर इम्तिहान में साथ थे वो,
हर खुशी, हर गम में हमें अपना बनाते थे।
वक़्त के साथ चेहरे बदल जाते हैं, मगर,
वो दिलों में रहते थे, दूर नहीं जाते थे।
सीखा गए वो दोस्ती का मतलब हमें,
दोस्त बनकर, जिंदगी के मायने बताते थे।