एक चेहरे पर ना जाने कितने पहरे लगा रखा है,
जैसे खुदा ने सारी कारीगरी वहीं पे छुपा रखा है।
तुझे इक पल को पा लू जिंदगी हो जाए मुक्कमल,
मै सदियों जी लूं फिर उम्र भर जीने में क्या रखा है।
तेरे हुस्न ओ शबाब की खबर से वाकिफ तो थे हम,
पता न था कि उर्वशी को ही आसमां से ला रखा है।
तेरा आना इस क़दर रोशन कर गया मेरे घर को,
खिड़कियों से लगता है, बाहर कुछ नहीं रखा है।
यकीं से उन पेटियों में तलाशता रहा हूं दिनभर,
यकीं है जहां अब नहीं कोई तुम्हारा खत रखा है।