हमसे क़ाबिल हो

नाम लिक्खा छुरी, जिसने छूरी नहीं
हमसे क़ाबिल हो वो, ये जरूरी नहीं

बन गए क्यों ग़ज़ल, के बहुत से नियम
जानकारी किसी, को थी पूरी नहीं

इतना आसाँ नहीं, सीखना शायरी
लफ़्ज़ कम बात हो, पर अधूरी नहीं

राह अपनी अलग, सोच अपनी अलग
फिर भी अपनी किसी, से है दूरी नहीं

काम शायर का बस, सच है कहना 'निज़ाम'
करना दरबार मे, जी-हुज़ूरी नहीं


तारीख: 15.03.2024                                    निज़ाम- फतेहपुरी




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