हर काम हो तुम्हारे हिसाब से क्यों

हर काम हो तुम्हारे हिसाब से क्यों
हो खफा हमारे इन्क़लाब से क्यों ।
जब है हालात तुम्हारे काबू में फ़िर
डर गये सवालों के सैलाब से क्यों ।
अब किस पे तुम लगाओगे इल्जाम
हो गये खिलाफ़ फ़िर जवाब से क्यों ।
चलो ठिक है,कोई हैसियत नहीं मेरी
जलते हो भला मेरे खिताब से क्यों ।
चुप भी रहो अजय तुम्हें क्या पड़ी है
वक्त बेवक्त हो जाते हो बेताब से क्यों।
 


तारीख: 07.02.2024                                    अजय प्रसाद









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