जलाकर आग दिल मे बार बार बुझाते थे
अजीब लोग थे फिर से नई आग जलाते थे
गैरों ने कभी नही सताया मुझको कहीं भी
अफ़सोस ये था कि मेरे अपने ही सताते थे
जिन्हें वफा निभानी होती,वो निभाते थे,मगर
जिन्हें मुहं करना होता वो मुहंकर जाते थे
मेरे हर जुर्म मे ये भी जिम्मेदार बराबर के हैं
यही वो लोग हैं जो मुझे तरकीबें सुझाते थे
मरासिम टूट गए सारे कि राज हो गए जाहिर
झूठ के आईने सच को सच से ही छुपाते थे