जब से आईने से नज़र मिलाने लगे हैं

Gazal shayari nazm

जब से आईने से नज़र मिलाने लगे हैं 
अपनी ही बातों से वो उकताने लगे हैं

अपने भी घर में जब होने लगा हादसा
वाइज़ नफरत की दीवार गिराने लगे हैं

अकेलेपन से जब घिर गए हर ओर से
फिर अपने पराए सबको मनाने लगे हैं

मन्दिर मस्जिद से जब  बात नहीं बनी
तब इन  किताबों से धूल हटाने लगे हैं

सब दंगे- फसाद जब हो गए  नाकाम  
बात-चीत को समाधान बताने लगे हैं

समझे जब देश बना है हर आदमी से
तो हर इंसान को इंसान बताने लगे हैं

वाइज़-उपदेश देने वाला


तारीख: 02.01.2024                                    सलिल सरोज









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