नाता है

 तन्हा  तन्हा  रहता है
हर गम हँसकर सहता है

उड़ने वाला हर पंछी
इक दिन नीचे आता है

उम्मीदों के वल पर ही
इंसा जिंदा रहता है

राधा मीरा वाला अब
मेरा उससे नाता है

सूखी सूखी आँखो से
झर झर पानी बहता है

मेहनत करने वाला ही
इक दिन मंजिल पाता है

बेटा ही मुझको घर से
अब जाने को कहता है

जलने वाला हर दीपक
इक दिन खुद ही बुझता है


तारीख: 14.06.2017                                    पीयूष गुप्ता









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