अनिका एक पहेली

 


कभी कभी जीवन में कुछ ऐसा घटित होता है जिसका पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता। मैं हॉस्पिटल अपने एक परिचित को देखने गया था, परिचित को देखने के बाद मैं थोड़ी देर के लिए रिसेप्शन के सामने एक कुर्सी पर बैठ गया, तभी मुझे डॉक्टर से बात करती एक लड़की दिखाई थी, जो बेहद सिंपल थी. उसने किसी भी तरह का मेकअप नहीं कर रखा था पर उसके चेहरे पर बहुत जबरदस्त नूर था, मैं उसे देखता रह गया, मेरी निगाहें उसके चेहरे से नहीं हट रही थी, लगता था भगवान ने उसे फुर्सत में बनाया है. मेरे पास कुछ अन्य लोग भी बैठे हुए थे उनमें से भी कुछ उसे निहार रहे थे, वह भी कभी कभी हमारी ओर देख रही थी, अचानक वह हम लोग के और आने लगी। मैं थोड़ा घबरा  गया, उसने पास आकर कहा सॉरी मिस्टर आपका ब्लड ग्रुप क्या है क्या आप मुझे बताएंगे। पहले तो मुझे लगा किसी और से पूछ रही है , पर दुबारा उसने मुझसे कहा मैं आप ही से पूछ रही हूं।
मैं थोड़ा सक पका गया और खड़ा होकर बोला , “जी मेरा ब्लड ग्रुप ओ पॉजिटिव है।

वह बोली क्या आप एक जान बचाना चाहेंगे, यहां एक एक्सीडेंट केस आया है और उसे खून की बेहद आवश्यकता है, आपका एक बोतल खून उसकी जान बचा सकता है। हमें ओ पॉजिटिव खून ही चाहिए।

मैंने तुरंत निश्चय किया की इस लड़की की हेल्प करनी चाहिए। मैंने कहा ठीक है मैं ब्लड देने को तैयार हूं।

वह मुझे डॉक्टर के पास ले आई और बोली डॉक्टर साहब यह सज्जन ब्लड देने के लिए तैयार है आप इनका ब्लड ले लीजिए। डॉक्टर ने कहा ठीक है अनिका भगवान ने चाहा तो अब तुम्हारे पेशेंट की जान बच सकती है!

मैंने मन ही मन सोचा की  इस सुंदर लड़की का  नाम अनीका है. खून देने के बाद मैंने बाहर निकल कर अनिका को बहुत तलाश किया पर वह कहीं नहीं मिली! मैं वापस घर आ गया लेकिन अनिका की याद उसका चेहरा मेरे जेहन मैं इतना समा गया था कि मैं उसे भूल नहीं पा रहा था. मैंने सोचा यह क्या है यह उसके प्रति प्यार है या आकर्षण। बाजार में सड़कों पर जब कभी निकलता मेरी निगाहें उसे ढूंढ रही होती पर वह कहीं दिखाई नहीं दी। मित्र लोग भी चुटकी लेने लगे, “हमारे कहने पर तो एक गिलास पानी भी नहीं लाता और उसके जरा सा कहने पर डेढ़ लीटर खून देकर आ गया, देख ले कहीं देवदास ना बन जाना।

इस घटना के 1 महीने बाद मैं राजधानी एक्सप्रेस से मुंबई जा रहा था, दिनभर  का थका होने के कारण मैं रात 10:00 बजे के लगभग अपने नीचे की सीट पर चादर बिछाकर कंबल तान कर सो गया। लगभग 11:00 बजे किसी ने मुझे आवाज दे कर उठाया, मैंने  आंखें खोल कर देखा सामने वहीं लड़की अनिका थी । मुझे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ, एक बार दोबारा अपनी आंखें मल कर देखा वह  अनिका ही थी!
अनिका बड़े ही विनम्रता से बोली इन वृद्ध सज्जन की सीट ऊपर की है, पर ये  ऊपर नहीं चढ सकते, क्या आप यह सीट इनके लिए खाली कर देंगे।

मैंने कहा क्यों नहीं मैं ऊपर की बर्थ पर सो जाता हूं!

बुजुर्ग सज्जन ने अनिका को धन्यवाद दिया। अनिका बोली मैं अभी आपके लिए पानी लेकर आती हूं, और वह मुझे धन्यवाद देते हुए ट्रेन से उतर गई, राजधानी वैसे भी बहुत कम रूकती है, एकदम से चल दी।
मैंने बुजुर्ग सज्जन से प्रश्न किया अरे वह तो शायद नीचे ही रह गई आपके साथ है ना ?

उन्होंने बताया नहीं वह तो उसे जानते भी नहीं, स्टेशन  पर ही मेरी परेशानी ,मेरी उम्र देख कर मेरी मदद करने को चल पड़ी, ऐसे' भले बच्चे तो लाखों में एक ही होते हैं, भगवान उसे खूब सुख दे।

राजधानी एक लिंक ट्रेन है इसलिए मैंने उसे सभी बोगियों में अच्छे से तलाश किया पर वह कहीं नहीं मिली। थक हारकर मैं अपनी बर्थ पर आकर सो गया, पर ठीक से नींद नहीं आई रात भर उसी के विषय में सोचता रहा। वह एक हवा के झोंके की तरह दो बार मेरे जीवन में आ चुकी थी, पर नाम के सिवा मुझे उसके विषय में कुछ पता नहीं था।

फिर उसे ढूंढने का सिलसिला कई महीनों तक चलता रहा पर वह कहीं दिखाई नही दी, अनिका मेरे लिए एक पहेली बन गई थी, मेरे मन में उसके लिए प्यार और आकर्षण बढ़ता ही जा रहा था!

इतवार का दिन था, अक्टूबर का महीना था, मौसम बहुत अच्छा था, मैंने पिकनिक का मन बनाया और पास के एक पिकनिक स्पॉट पर नदी में स्विमिंग करने अपने साथ थोड़ा खाने पीने का सामान लेकर चल दिया। उस दिन मैंने खूब स्विमिंग की और काफी थकने के बाद अपनी चादर रेत पर बिछा कर लेट गया, रोशनी से बचने के लिए रुमाल अपनी आंखों पर डाल लिया।

मुझे अचानक एक महिला का चिर परिचित  स्वर सुनाई दिया उस बच्चे को बचाइए वह डूब जाएगा। आंखों से रुमाल हटाया सामने अनिका खड़ी थी, मैंने देखा नदी में एक बच्चा छटपटा रहा है।

बिना समय गंवाए मैं तेजी से नदी में कूद गया और सफल प्रयास करके उस बच्चे को बचा लिया। किनारे पर उसके अपने व्यग्रता से नदी की ओर देख रहे थे, एक महिला बुरी तरह से रो रही थी शायद वह इसकी मां थी। लेकिन इस बार भी भीड़ में मुझे अनिका कहीं दिखाई नहीं दे रही थी, बच्चे को उसकी मां के हवाले कर मैंने चारों ओर देखा,लेकिनं इस बार ऐसा नहीं हुआ, अनिका मेरे सामान के पास खड़ी थी। वह मुझे ऐसे देख रही थी जैसे जानती ही ना हो। मेरे पास आने पर अनिका बोली आपका बहुत बहुत धन्यवाद आपने बच्चे की जान बचा ली.
मैंने थोड़ा गर्व से कहा, “अरे नहीं यह तो मेरा फर्ज था, वैसे क्या हम पहले मिले हैं. मेरे स्वर में थोड़ी  कटुता थी!

अनिका ने थोड़ा मुस्कुराते हुए कहा, “मैं समझ रही हूं , आप क्या कहना चाह रहे हैं,व्यस्तता के कारण कभी  भी आपका ठीक से धन्यवाद अदा नहीं कर सकी। यह हमारी तीसरी मुलाकात है। आप सज्जन आदमी हैं आपने पहले खून देकर एक महिला की जान बचाई, फिर आपने एक बुजुर्ग को अपनी बर्थ दी, और आज एक बच्चे की जान बचाई।

चलिए शुक्र है आपने मुझे पहचाना तो, वैसे बता सकती हैं कि आपका इन तीनों से क्या रिश्ता है. - - मैंने सवाल किया।

यह तीनो लोग मेरे रिश्ते में तो कुछ नहीं लगते लेकिन इन सभी से मेरा मानवता का रिश्ता है- अनिका ने संक्षिप्त उत्तर दिया.

सच में मेरे मन में आपके लिए सम्मान बहुत बढ़ गया है, वह बुजुर्ग सज्जन भी आपको दुआएं दे रहे थे, वैसे क्या करती हैं आप - मैंने उसकी सुंदरता को निहारते हुए पूछा। 

अनिका ने बताया - मैं इंजीनियरिंग कर रही हूं चौथा साल है, जो समय बचता है वह मैं एक एनजीओ को देती हूं, हॉस्पिटल में मैं रोज जाती हूं, वहां मैं अगर किसी की सहायता कर सकती हूं तो अच्छा लगता है. उस दिन ट्रेन पर मैं अपने एक परिचित को छोड़ने गई थी।


मैं बिल्कुल नहीं चाहता था कि वह चली जाए इसलिए बातों का सिलसिला आगे बढ़ाते हुए मैंने उससे कहा, “मेरे विषय में नहीं जानना चाहेंगी। फिर अपने आप ही बताने लगा, मेरा नाम अनिकेश है,मैंने अभी सीए पास आउट किया है, वर्धमान  कांपलेक्स  में अपना छोटा सा ऑफिस बना रखा है। एक बात मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि वहां और भी लोग थे लेकिन आपने मुझसे ही क्यों मदद मांगी।

अनिका ने कहा, “मैंने आप में सकारात्मक ऊर्जा देखी और मेरे दिल ने कहा आप जरूर सहायता करेंगे। ठीक है समझ गए ना अब मैं जाती हूं देर हो रही है।

अनिका शायद मुझ से पीछा छुड़ाना चाहती थी, “  एक बात बताइए क्या मैं आपके एनजीओ मैं शामिल हो सकता हूं, वास्तव में मैं आपसे बहुत प्रभावित हुआ हूं और आपसे प्रोत्साहन लेकर मैं भी लोगों की कुछ सेवा करना चाहता हूं।

बिल्कुल ,यह तो अच्छी बात है आपको सामने वह सफेद सी बिल्डिंग दिख रही है, वही हमारा एनजीओ है, कल आप 4:00 बजे आ जाइएगा।

मन ही मन मैं बहुत खुश था , लग रहा था जैसे मुझे कोई खजाना हाथ लग गया है। अनिका का तो नहीं कह सकता पर यह बात निश्चित है कि मैं उससे प्यार करने लगा था।

अगले दिन समय बहुत धीरे धीरे बीता मैंने ऑफिस 3:00 बजे ही बंद कर दिया और तैयार होकर एनजीओ चला गया। एनजीओ में हमारी उम्र के और भी बहुत से लड़के और लड़की थे। एनजीओ मैं मुझे बताया गया कि जो सेवा मै करूंगा उसकी एवज मे मुझे कोई सैलरी आदि नहीं दी जाएगी । 

सैलरी क्या अभी तक तो मुझे समाज सेवा में भी कोई रुचि नहीं थी!मेरा तो एकमात्र उद्देश्य अनिका के निकट आना था। अनिका किसी से ज्यादा बात नहीं करती थी! मैंने जान लिया की शायद अभी तक उसके जीवन में कोई नहीं आया है! मैं लगातार उससे बात करने और उसके निकट आने का प्रयास करता रहता! उसके साथ हॉस्पिटल, अनाथालय, वृद्ध आश्रम जाने लगा!

धीरे धीरे मुझे भी इस काम में रुचि आने लगी ! समय बीतता गया, अनिका ने इंजीनियरिंग पूरी कर ली, मैं अब उससे काफी घुल मिल गया था! मैंने पूछा  क्या अब सर्विस करोगी?

अनिका ने बताया नौकरी में उसे कोई दिलचस्पी नहीं है वह अब अपना सारा समय एनजीओ के काम में लगाएगी।

मैंने कहा --अनिका किसी दिन अपनी फैमिली से मिलवाओ। 

अनिका ने बताया कि उसके परिवार में बस उसके मम्मी पापा है और दोनों ही गजेटेड ऑफिसर है, सुबह को निकलते हैं और रात में घर आते हैं! तुम कब मिलोगे उनसे ? लेकिन चलो मैं आज तुम्हें अपने पापा से मिलवाती हूं। 

अनिका मुझे एयरपोर्ट ले गई गेट पर उसने एक कार्ड दिखाया और बताया की यह मेरे साथ है, तो गेटकीपर ने हमें अंदर जाने दिया! हम अंदर घूम रहे थे कि अचानक हमने देखा एक कस्टम अधिकारी विदेशी महिला को ब्लैकमेल कर रहा था। वह विदेशी महिला से कह रहा था या तो मुझे ₹100000 दो अन्यथा मुझे तुम्हें गिरफ्तार करना पड़ेगा! विदेशी महिला काफी मिन्नत कर रही थी पर वह अधिकारी नहीं मान रहा था! अनिका ने मुझसे कहा तुम अपने मोबाइल में इनका वीडियो बना लो और कॉफी शॉप पर आ जाना मैं तुम्हें वही मिलूंगी!

मैंने कहा तुम कहो तो इनको पुलिस से पकड़वा देता हूं।

अनिका ने कहा, “अरे नहीं बाबा जितना कहा है उतना करो।

थोड़ी देर बाद में मैं कॉफी शॉप पहुंचा और अनिका को बताया, “मैं वीडियो बना ही रहा था कि तभी पुलिस आ गई और कस्टमअधिकारी को पकड़कर ले गई!

अनिका के मुंह से निकला “सत्यानाश” अब जल्दी एनजीओ चलो! और तुरंत वीडियो डिलीट कर दो!

क्या कह रही हो अनिका ,वीडियो तो पुलिस अधिकारी ने अपने मोबाइल में ट्रांसफर कर लिया है, हम तो यहां तुम्हारे पापा से मिलने आए थे! - मैं समझ नहीं पा रहा था कि हुआ क्या है!

अनिका ने थोड़ा झुंझु लाते हुए कहा, “अरे बुद्धू वह ही तो थे मेरे पापा  जिनको तुमने एरेस्ट करा दिया है!

मन ही मन मैंने सोचा यह तो वाकई बहुत गलती हो गई ।मैंने तो अपने पैर पर ही कुल्हाड़ी मार ली! अब किस मुंह से जाकर उनसे अनिका का हाथ मांग सकूंगा! मुझे अपने आप पर बहुत गुस्सा आ रहा था!

अगले दिन मेरे पूछने पर अनिका ने बताया कि मेरी मम्मा आईऐएस ऑफिसर हैं और हम लोग कल ही पापा को घर ले आए थे!

अनिका तुमने अपने पापा का स्टिंग क्यों करवाया, इस पर अनिका ने बताया कि वह भ्रष्टाचार के एकदम खिलाफ है, चाहे मेरे पापा ही हो उनको सबक सिखाना जरूरी था! अब पापा ने मेरी कसम खाई है कि भविष्य में वो किसी भी तरह का भ्रष्टाचार नहीं करेंगे!

मैंने अनिका से कहा - - मैं अभी भी तुम्हें ठीक से समझ नहीं पा रहा हूं, लेकिन तुम्हारे लिए मेरे मन में सम्मान बढ़ता जा रहा है! तुम्हारा दिल बहुत अच्छा है अनिका! 

समय बीतता गया, मेरे और अनिका के बीच नजदीकियां बढ़ती गई पर अभी तक किसी ने भी प्यार का इजहार नही किया था। 

मुझे  कैलीफोर्निया की एक बहुराष्ट्रीय कंपनी से नियुक्ति पत्र आया ,जहाँ मैने आवेदन किया था , वेतन और नौकरी  दोनों ही बहुत अच्छी थी।अब निर्णय लेने का समय आ गया था।

अतः मैंने अनिका से कहा इस शनिवार को मैं तुम्हें फाइव स्टार होटल में कैंडल लाइट डिनर  देना चाहता हूं, दरअसल वक्त रहते मैं अनिका से प्यार का इजहार करना चाहता था! अब मेरे सब्र का बांध टूटा जा रहा था! अनिका को जल्दी से जल्दी अपना बना लेना चाहता था! मैंने एकांत में अनिका की और अपनी मेज लगवाई ताकि दूसरों को असुविधा ना हो!

जानती हो अनिका मैंने आज ही तुम्हें डिनर पर क्यों बुलाया !
नहीं तो - अनिका ने जवाब दिया
आज हमें मिले पूरा 1 साल हो गया, आज ही के दिन तुमने हॉस्पिटल में मुझसे खून की डिमांड की थी वैसे उसके बाद में एक दो बार और भी तुम मेरा रक्तदान करा चुकी हो!

अनिका ने आश्चर्य जताते हुए कहा, “बहुत याद रखते हो पुरानी बातें, मुझे तो कुछ भी याद नहीं!

पर मुझे सब याद है अनिका, तुम्हारे साथ बिताए हुए एक एक पल एक एक घटना मुझे जवानी याद है! अच्छा अनिका एक बात बताओ, “क्या तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड है या कोई तुम्हारी जिंदगी में है! 

मेरे पास इन बातों के लिए फुर्सत ही नहीं है, वैसे क्यों पूछ रहे हो तुम? अनिका ने पूछा

पर यह तो हो सकता है अनिका कि कोई तुम्हें बहुत प्यार करने लगा हो!  फिर मैंने अपनी जेब से एक पत्र निकाल कर अनिका को दिया और कहा इसे पढ़ो!

क्या लिखा है इसमें क्या प्रेम पत्र है. - अनिका ने पूछा

मैंने जवाब दिया, “नहीं अनिका यह प्रेम पत्र नहीं है, मेरा नियुक्ति पत्र  है, मेरा चयन कैलिफोर्निया की एक एमएनसी मैं हो गया है, 5 साल का अनुबंध है और मुझे इसी महीने की 20 तारीख को वहां जॉइन करना है!

अरे वाह, यह तो बहुत अच्छी बात है तुरंत जॉइन कर लो तुम्हारी जिंदगी बन जाएगी। वहीं किसी विदेशी लड़की  से शादी कर लेना! - अनिका ने खुशी जाहिर करते हुए कहा।

मैंने भावुक होते हुए कहा - नहीं अनिका मैं यह नहीं चाहता, आज मैं तुम्हें अपने दिल का हाल बताना चाहता हूं, अपने प्यार का इजहार करना चाहता हूं, जब पहली बार मैंने तुम्हें देखा था तभी से मैं तुम्हें चाहने लगा था और अब एक पल भी तुमसे जुदा होने की नहीं सोच सकता, मैंने आज तक किसी लड़की को आंख उठा कर भी नहीं देखा, पर तुम्हारी सादगी, तुम्हारे भोलेपन को मैं भूल नहीं पाता ,हर वक्त मुझे तुम्हारा ही ख्याल रहता है, क्या तुम मुझे बिल्कुल नहीं चाहती!

अनिका ने थोड़ा गंभीर होते हुए कहा - अनिकेश यह बात नहीं है, तुम बहुत अच्छे हो और जो भी लड़की तुम्हारे जीवन में आएगी वह खुश रहेगी! पर मेरे जीवन का लक्ष्य कुछ और है, मैं अपना जीवन समाज के इन वंचितों की सेवा में लगाना चाहती हूं जिन्होंने कभी खुशी नहीं देखी है!

पर वो तो शादी  के बाद भी संभव है, हम दोनों मिलकर तुम्हारे सपने को पूरा करेंगे - मैंने कहा

नहीं अनिकेश शादी के बाद कुछ नहीं हो पाता, बाल बच्चे और गृहस्थी में फस कर इंसान विवश हो जाता है! अभी तो मैंने विवाह आदि के बारे में कुछ भी नहीं सोचा है! - अनिका ने जवाब दिया!

मैं बहुत मायूस हो गया पर अपनी मायूसी छुपाते हुए मैंने कहा - मुझे माफ करना अनिका शायद अनजाने में मैंने तुम्हारा दिल दुखाया है, मुझे पता नहीं था कि तुम्हारे दिल में मेरे लिए कुछ नहीं है! चलो अब मूड ठीक कर लो डिनर करते हैं और हां ऐसी ही किसी हसीन शाम को मन करे तो मुझे याद कर लेना! शायद आज हमारी यह आखिरी मुलाकात है ,कल मैं अपने मम्मी पापा से मिलने अहमदाबाद चला जाऊंगा और वहां से सीधा कैलिफोर्निया! यह गिफ्ट में तुम्हारे लिए लाया था, अगर मन करे तो कबूल कर लेना नहीं तो अपनी अलमारी  के किसी कोने में इसे फैक देना! मैंने जो समय तुम्हारे साथ बिताया है वह मेरे जीवन का सर्वोत्तम समय रहेगा, जिसे मैं कभी नहीं भूलूंगा! यह कहते हुए मैंने अपनी जेब से निकाल कर एक अंगूठी अनिका को दी!

अरे अभी तो 10, 15 दिन है इस बीच  तो हम से मिलने आना, पर अमेरिका जाने से पहले जरूर मिलना! - अनिका ने कहा

मैंने अनिका से कहा , “वायदा तो नहीं कर सकता पर कोशिश जरूर करूंगा”!

उस दिन का डिनर मुझे सबसे बेकार लगा, डिनर खत्म करके हम लोग विदा होने लगे, अनिका बाय करके जाने लगी, और मैं अंतिम लम्हों में उसे दूर तक जाता हुआ देखता रहा! शायद यह हमारी अंतिम मुलाकात थी। 

यह 15 दिन सालों की तरह गुजरे और अंत में वह दिन भी आ गया जब मुझे इंटरनेशनल एयरपोर्ट से कैलिफोर्निया के लिए फ्लाइट पकड़नी थी!

मैं सुस्त कदमों से गेट की ओर बढ़ रहा था कि तभी मुझे गेट पर अनिका खड़ी दिखाई दी, वह भी थोड़ी उदास सी लग गई थी!

पास आकर मैंने उससे पूछा “सी ऑफ” करने आई हो!

नहीं अनिकेश तुम्हें लेने आई हूं, उसकी आंखें भर आई थी और स्वर कॉप रहे थे, उधर देखो मेरे मम्मी पापा भी आए हैं, अनिकेश इन 15 दिनों में मैंने तुम्हारी कमी को बड़ी शिद्दत के साथमहसूस किया, मैंने यह भी महसूस किया कि मैं तुम्हें बहुत चाहती हूं, तुम्हारे बिना नहीं रह पाऊंगी! यह देखो मैंने तुम्हारी दी हुई अंगूठी भी पहन ली है! मै भी तुम्हें अंगूठी पहनाना चाहती हू।अनिका ने अपने हाथ में ली हुई अंगूठी दिखाई। मैंने ना जाने कितने फोन किए पर हर बार तुम्हारा मोबाइल स्विच ऑफ आया! - अनिका ने उदास स्वर में कहा! 


मुझे लगा जैसे मैं निर्जन में खड़ा हूं और कोई मद्धम स्वर  मैं शहनाई बजा रहा है, दिल किया की दौड़ कर अपने प्यार को गले से लगा  लू लेकिन उसके मम्मी पापा को देख कर ठिठक गया! पर अनिका नहीं रुकी और दौड़ के आ कर मेरे गले लग गई! दिल ने किया समय यहीं थम जाए ,जो खुशी मैं महसूस कर रहा था उसे जाने नहीं देना चाहता था! “अनिका मैं तुमसे बेइंतहा मोहब्बत करता हूं, तुम ही मेरा पहला और अंतिम प्यार हो”! मेरी आंखें नम थी और गला भर आया था, मुझसे कुछ भी कहा नहीं जा रहा था!

मैंने अनिका के मम्मी पापा से आशीर्वाद लिया! पापा बोले - तुमने हमारा बहुत बड़ा सिर दर्द दूर कर दिया है , यह लड़की तो किसी भी तरह से शादी के लिए तैयार ही नहीं होती थी! अब इससे पहले  कि इसका मन बदले, मैं तुम्हारे मम्मी-पापा से मिलकर तुम लोगों को विवाह सूत्र में बंधवा देता हूं, पर एक बात है भविष्य में मेरा स्टिंग मत करना!

हम सभी हंसने लगे!
 


तारीख: 23.08.2019                                    विजय हरित









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