मदनलाल बडबडा रहे थे कि आज सब्जीवाले ने लूट लिया अठ्ठावन रुपये की सब्जी लेने के बाद बचे २ रुपये ना देकर चार पत्ते धनिये के जबरदस्ती डाल दिए ।
और मना किया तो खींसे निपोरकर बोला “बाबूजी छुट्टे पैसे नहीं हैं पूरे साठ ही दे दीजिये “अरे यह भी कोई बात हुई साले सब के सब सब्जी बाले इनदिनों लूटमार करने लगे हैं ।उंह एक नंबर के पैसा चोर ।”कोलोनी के गेट तक आते आते मदनलाल जी यूँ ही बडबडाते रहे मगर अचानक ही कुछ झुके उन्हें जमीन पर पांच रूपये का एक सिक्का चमकता दिखाई दिया ।
मदनलाल जी ने इधर उधर देखा और किसी को आस पास ना पाकर चुपचाप वो सिक्का अपनी जेब के हवाले कर लिया ।और पुन :सब्जी बाले पर खुन्नस निकालते आगे बढ़ गए ।