कितनी अच्छी खुशबू आ रही है, मुँह में पानी आ गया । मीता बोली ।
हां ,आज दाल मखनी बनाई है , माँ बोली ।
माँ,आप हमेशा ऐसा ही खाना बनाती हो ।मेरी सहेलियों के यहां कितना स्वाददार खाना बनता है , मीता ने मुंह बनाकर कहा ।
अच्छा ! मैं स्वाददार नहीं बनाती? माँ बोली ।
बनाती हो वैसा नहीं बनाती जैसा उनके घर बनता है । मीता ने कहा ।
वाह ! मतलब क्या है तुम्हारा ?
अरे ! माँ चिकन,मटन,फ्राई मछली ओहो........ चम्मस वाला स्वाद । तराना की मम्मी मछली के पकौड़े इतने स्वाददार बनाती है कि जब वह टिफिन में लाती है तो हम सब मिलकर चट कर जाते हैं । उसको तो कुछ मिलता ही नहीं है और तो और माँ हम पिछले महीने अंशिका की जन्मदिन पार्टी में शामिल हुए थे तो आपको क्या बताऊं ? उसकी मम्मी ने क्या लज़ीज़ मटन बनाया था ।हम सबने हड्डियां ऐसे चूसी थी कि उसका स्वाद आज तक मेरी जुबान पर है । माँ ,तुम भी ऐसा स्वाददार खाना क्यों नहीं बनाती?मीता बोली ।
नहीं कभी नहीं गुस्से से माँ बोली।
ठीक है मुझे आप से बात ही नहीं करनी ।मैं जा रही हूं खेलने । मीता बोलकर चली गई ।
राखी , मीता के इस व्यवहार से दुखी हो गई और मन ही मन सोचते हुए बोली स्वाद के लिए लोग हत्या भी कर सकते है वो भी उनकी जो बेजुवान हैं । दर्द तो सबको होता है फिर वह छोटी सी मछली हो ,मुर्गा हो ,बकरा हो ।उफ्फ ये दुनियां कहां पहुंच रही है।स्वाद के लिए जगह _जगह रेस्तरां व रेस्टोरेंट खोल दिए और हत्या करके बड़ी शान से बेच ओर खा रहे हैं । छी छी मैं कभी ऐसा खाना न बना सकती हूं न खिला सकती हूं।