आज मेरी शादी को 40 वर्ष पूरे हो गए हैं. इन वर्षों में ज़िंदगी के उतार चढ़ाव में वक्त कब बीत गया पता ही ना चला. ज़िंदगी से कोई शिकवा या शिकायत नहीं. मैं बहुत खुशनसीब हूँ की मुझे मान- सम्मान और खूब प्यार मिला.
बहुत छोटी थी तो माता पिता का देहांत हो गया था लेकिन मामा मामी ने खूब प्यार से पाला. मामाजी एक प्राइमरी स्कूल के टीचर थे, और अपने घनिष्ट मित्र के पुत्र से मेरा विवाह करना चाहते थे. लेकिन समस्या ये थी की उनकी मित्र की पत्नी की मृत्यु हो चुकी थी और उनके पांच पुत्र थे. मामाजी को चिंता हो रही थी की 'एक तो इतना बड़ा परिवार और ऊपर से सास बिना ससुराल.'
मेरी उम्र भी लगभग ही 20 थी, इतनी छोटी उम्र में इतने बड़े परिवार की ज़िम्मेदारी, आसान नहीं था. चूँकि परिवार बहुत सभ्य था इसलिए मेरा विवाह हो गया.
विवाह साधारण तरीके से हुआ. गृह प्रवेश करते ही दिन में तारे नज़र आ गए. घर में पिताजी, बड़े जेठ जी, जिन्होंने शादी नहीं की, दूसरे नंबर पर मेरे पति, तीसरे नंबर पर देवर जी जो कॉलेज में थे, चौथे नंबर के देवर दसवीं की परीक्षा दे रहा था और पांचवे नंबर का देवर सबसे छोटा दूसरी कक्षा में था.
मैं सकुचाई सी घबराई सी कभी घर को तो कभी घर के सदस्यों को देख रही थी. तभी सबसे छोटा देवर सोनू, मेरे पास आया बोला- "भाभी माँ बहुत भूख लगी है खाना दो..."
उस छोटे से बच्चे के मुंह से दो शब्द भाभी माँ सुनकर मेरा हृदय ममतामयी हो गया और मेरा नाम भाभी माँ पड़ गया. यहाँ तक बड़े जेठजी ने भी मुझे भाभी माँ कह कर पुकारा, और अपनी माँ का स्थान दे दिया.
मैं भी हृदय के वातसल्य से सबको प्रेम करने लगी. सभी मुझे प्यार और इज़्ज़त देते है. खाने से लेकर घर की साफ़ सफाई में सभी मेरा योगदान देते थे और मैं भी कभी माँ, कभी बहन, और कभी दोस्त की भूमिका निभाती रही, पता ही ना चला. पांच पांच पुत्रों के होते हुए भी पिताजी को एक बेटी की कामना थी जिसे मेने भी मन से स्वीकारा.
कभी कभी आस पड़ोस और रिश्तेदार मुझसे पूछते की तुम इतने बड़े परिवार में कैसे रम गई तो मेरा केवल एक ही उत्तर होता हम "सात साथ" है ...
मैं ईश्वर का बहुत शुक्रिया अदा करती हूँ की आज भी मैं अपने पूरे परिवार के साथ हूँ, सभी देवर भी अपनी गृहस्थी बसा चुके है यहाँ तक की जेठ जी ने भी विवाह कर लिया है, घर में बेटे-बेटियाँ, और पोते पोतियां की हँसी ठिठोली गूँजती रहती है, देवरानियां भी मुझे भाभी माँ का सम्मान देती है.
आज विवाह की वर्षगाँठ पर पूरा परिवार मेरे साथ है ... इससे ज़्यादा एक स्त्री को क्या उपहार मिलेगा. ईश्वर से मेरी यही प्रार्थना है, की हम 'सात' परिवार का साथ हमेशा 'साथ' रहे क्योंकि "हम सात साथ है..."