
( मनहरण कवित्त छन्द )
अन्धभक्त
अन्धभक्त अत्यधिक अत्याचारी अमानव,
अंधेरा अमावस सम सारे संसार करत।
तर्कशीलता तमीज़ तजते तुम तमाम,
अन्धविश्वासी अज्ञानी पाखण्ड प्रसार करत।
टोना-टोटका टपोरियों पर पूरा विश्वास,
विज्ञान विवेक विहीन वे कोरा कोप करत।
विकास विरोधी व्यभिचारी विमन्दित व्यक्ति,
“मारुत” मूरख धमकाते धर्म-धन्धा करत।।