आओ जी लें हम


आओ पल पल इस जीवन निर्झर को पी लें हम
सुख दुख के झूले का अद्भुत जोखिम जी लें हम
बचपन से घोट घोट कर पढ़े जीवन को पोथी में
अक्षरों से हो आजाद कुछ अनुभव जी लें हम


शब्द अर्थ बदलते हैं वक्ता के व्यक्तित्व से 
आओ शब्दों के अर्थ को चलो जी लें हम
फूलों में चित्रकार ने हजार रंग भरे होंगे बेजान 
क्यारियों में खिली खूशबू को आओ जी लें हम


कैसे यकीन करें रब का गैरों के बयान से 
जी भर खुद में खुदा को आओ जी लें हम
 


तारीख: 20.10.2017                                    उत्तम टेकडीवाल




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