आप हमे पसंद हो, लो अब स्वीकार करते हैं

आप हमे पसंद हो, लो अब स्वीकार करते हैं |
आपके साथ समय बिताने का इंतजार करते हैं |

सामने कहने से तो डरते हैं मगर, 
सपने मे तो रोज़ इजहार करते हैं |

आप हँस के बात करलो तो जैसे जन्नत मिल गई |
दिन गुजर जाता है, हम उसी को याद करते हैं |

आपको देखकर एक सुकून मिलता है दिल को, 
इसी सुकून की हम तलाश करते हैं |

शायद हमारे पास रूकना पसंद नही आपको, 
पर आपकी क्या गलती, अपना गुनाह हम स्वीकार करते हैं |

आप हमे चाहो, ये कहें हमे क्या हक है, 
अापके हर फैसले के लिए खुद को तैयार करते हैं |


तारीख: 17.03.2018                                    अनिल रघुवंशी









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