बुनियाद

Hindi Kavita sahitya manjari

चिडिया की चोंच की
एक एक बूंद पानी से
जंगल की आग तो
बुझती नहीं
पर
आग बुझाने की
उसकी मुहिम
हमेशा परोपकार का
एक विरासत छोड जाता है।
हम उस चिडिया की
भावनाओं से
इतना तो सीख
ले ही सकते हैं
हम से
कुछ हो न हो
पर दुस्कर्म की आग को
बुझाने में
हम भी कुछ तो
कर सकते हैं
उस चिडिया की तरह!
हमारी बुनियाद
सदा
यह मजबूत रहे
हम से कभी
कुछ हो न हो
पर
किसी का कोई
अपकार न हो!


तारीख: 05.01.2024                                    वैद्यनाथ उपाध्याय




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