
( रूप घनाक्षरी छन्द )
गुरु गुण लिख्यो न जाय
दिखलाया दुनिया को कर्म का पवित्र पथ,
सीधा-सादा सत्यसेवी सच्चा मानव महान।
निर्विकार निर्लिप्त निर्भय नामचीन नाम,
मानव-मानव को जोड़कर जोड़ा जहान।
गुरु गुणी प्रेम पुजारी पाखण्डों का कृतान्त,
“मारुत” माने मानवता महाकवि महान।
नमन नतमस्तक करबद्ध करे कवि,
सिखाया सहजता से जीवन जीना जहान।।