हुआ क्या है?
सड़कों पर मीलों पड़ा सन्नाटा
क्यू कोई काम याद नही आता।
कहाँ गए सब जो अक्सर
यहाँ जाम लगाया करते थे।
कहाँ गए सब जो अक्सर
ट्रैफ़िक में लड़ जाया करते थे।
हुआ क्या है?
वहाँ गाय खड़ी देखी आज अकेली
जहाँ से निकलना होता था पहेली।
वो अड्डा आज वीरान है,
न जाने कहाँ गये सारे दीवान है !
अरे यहाँ से तो सरकारें बना करती थी!
डींगो की अँधिया चला करती थी।
हुआ क्या है?
न कुछ भूलता है बाज़ार से लाने को
न कोई कहता है बाज़ार चले जाने को
ऐसा भी नही की जेबों में कंगाली है
मगर आज बनिए की दुकान ख़ाली है
लगता ही नही किसी को जल्दबाज़ी है
न जाने सबने कौनसी सुस्ती पाली है
हुआ क्या है?
ये अचानक वक़्त कहाँ से आ मिला !
क्या मायके गयी इसकी घर वाली है
कल तक तो मिलता नही था
चैन से रोटी भी खाने को
आज कुछ इस कदर मिला है
जी चाहता जल्दी गुज़र जाने को
पता है हुआ क्या है?
जान पे बन आयी है!
इसलिए सूरत बदल गयी है बाज़ार की।
इसलिए सीरत बदल गयी है इंसान की।