लोकतंत्र में सब जायज, पर देश जलाने का अधिकार नहीं


लोकतंत्र में सब जायज, पर देश जलाने का अधिकार नहीं... 
हक मांगो और मिले लाठी, यह भी स्वीकार नहीं.. 
देश जला दो और मारो साथी, यह भी स्वीकार नहीं..


यह देश मेरा है, मेरे पुरखों ने सींचा है... 
कोई इसमें रक्त मिला दे, मुझे यह भी स्वीकार नहीं.. 
कानून बना है, पहले इसका अच्छे से बौद्ध करो.. 
फिर चाहे स्वागत करना या फिर इसका विरोध करो.. 
गांधी के देश में "घर जलाना" अब स्वीकार नहीं.. 


आग से आग बुझाने का मतलब तो हर बार नहीं.. 
अभिव्यक्ति के नाम पे देश को गाली देने का व्यवहार नहीं... 
उन गद्दारों को बाहर निकालो, जिन्हें वतन से प्यार नहीं.. 
राजनीति ने सेकी रोटी, इन्हें मौके का इंतजार नहीं..
अपना ही घर जलता है, इन नेताओं का घर बार नहीं.. 
सब कुछ है स्वीकार, मगर यह स्वीकार नहीं... 
लोकतंत्र में सब जायज, पर देश जलाने का अधिकार नहीं... 


तारीख: 06.04.2020                                    सचिन राणा









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