पाँच साल पर आते हो

आम जनता परेशान है, नेता जी बेईमान हैं वोट के साथ-साथ सारे सुख-चैन लूट लिया।झूठा वादा करके खुद तो सोये आराम की नींद, जनता जागे रातों-दिन।इस ठगी पर बस इतना कहना चाहती है आम जनता-


      पाँच साल पर आते हो...
      गली-गली मंडराते हो
      जमकर शोर मचाते हो
      बारम्बार दोहराते हो


      हमसे अच्छा कोई नहीं
      हमसे सच्चा कोई नहीं
      पिछले वादे दोहराते हो
      कसमें खूब खिलाते हो
      जनमत को बहलाते हो
      टॉफी दे फुसलाते हो


      बात जो पूरी हो जाती
      गद्दी तुमको मिल जाती
      तो हमको भूल जाते हो
      रातों-दिन जगाते हो
      पाँच साल पर आते हो...
      दिल को खूब रिझाते हो..।


तारीख: 25.12.2017                                    सबा रशीद सिद्द़ीकी़









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