शहीद


गोदी से छिटका कर बोला जल्दी आऊंगा
जब आऊंगा तुझे काँधे पर सैर कराऊंगा
मेरा वादा टूट गया जीवन मुझसे रुठ गया
आना था पर साँसों का बंधन ही छूट गया
ऐ लाल मेरे अब तुमको कसम निभानी है
सजा संगीन मातृ भूमी की लाज बचानी है


मेरा अंतिम चुम्बन प्रेम आलिंगन रखना याद
अब तुम जितनी माँ उतनी पिता हो मेरे बाद
इस लिए स्मरण कर मुझे सिर्फ सुख संजोना
नाहक अश्रुरित हो मत अपनी आंख भिगोना
हम दोनों की प्रेम निशानी अपना लाल सलोना
नितांत आवश्यक उसमे देशप्रेम का भाव होना


पालपोस उसे देश निजसेवा की इच्छाएं भरना
मेरे बाद प्रिया मेरी तुम घर की सरंक्षक बनना
कहीं हार न जाएं मेरे दर्द से मेरे बुढ़े मात पिता
व्याकुल होना स्वाभाविक है बेटे की देख चिता


अब तुम जितनी बहू उतनी ही बेटा हो मेरे बाद
उनका सूनेपन भरने का करना भरसक प्रयास
शहीद पति की पूर्ण करनी यह अंतिम फरियाद
मेरे प्यार मनुहार वादों यादों को रख लेना साथ
मैं गया नहीं इस माटी से फिर अंकुर बन फुटूंगा
बन वृक्ष अपनी छाँव में तेरे सूनेपन को भर दूंगा
इसलिए सदा स्मरण कर मुझे सिर्फ सुख संजोना
प्रिय नाहक अश्रुरित हो मत अपनी आंख भिगोना


तारीख: 06.04.2020                                    नीरज सक्सेना









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