वो कितनी पुरानी बात थी, जब हमें प्यार हुआ था,
कैसे बिखरे थे रंग, जब इश्क का इज़हार हुआ था।
गलियों में घूमते थे हम, हाथों में हाथ लिए,
हर बात पे हँसते थे, हर लम्हा खास हुआ था।
वो बारिश की बूंदें, तेरा चेहरा भीगता हुआ,
किस्से थे कितने अपने, जब हर एहसास हुआ था।
फिर आई वो शाम ढलती, जब रास्ते बदले थे,
तेरा हाथ छूटा जब, दिल मेरा बेजार हुआ था।
अब यादों के झरोखे से देखता हूँ उस दौर को,
जैसे कोई ख्वाब था, जो बिखर कर सितार हुआ था।
वो कितनी पुरानी बात थी, जब हमें प्यार हुआ था,
अब यादों की राहों में, बस वो एक इज़हार हुआ था।