यह क्या हुआ है मुझे

यह क्या हुआ है मुझे
बेसुध सा गुजर रहा
बेख्याल वक़्त का
बेवक़्त ख्याल कुछ
धामे डोर कोई
बांधे गठान कुछ
चलने का आस नही
रुकने का ख्याल नही
अभी क्या मैं जग रहा
या कभी सोया नही
जैसे रूठे हुए होठों में
ठहरी हुई है प्यास कोई

यह क्या हुआ है मुझे
बेसुध सा गुजर रहा
बेख्याल वक़्त का
बेवक़्त ख्याल कुछ


अभी तो सब ठीक था
कैसे थम गया है सब
धड़कनों में जा कही
फसी रही है साँस मेरी
तेज़ तेज़ है हवा
सुर्ख सुर्ख आंख है
हाथ से छूटती
जर्द जर्द दर्द है
फासलों में सुकून है
वेदनाओं में दरमियां

यह क्या हुआ है मुझे
बेसुध सा गुजर रहा
बेख्याल वक़्त का
बेवक़्त ख्याल कुछ


तारीख: 26.01.2020                                    राजेश कुट्टन









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