चाहे इश्क क़रो या नफ़रत करो

चाहे इश्क क़रो या नफ़रत करो..
पर मोहब्बत बदनाम न करो!

चाहे इज़हार करो या इनकार करो..
पर मोहब्बत दाग़दार न करो!

चाहे दूर रहो या पास रहो..
पर मोहब्बत बेज़ार न करो!

चाहे रंज रखो या गिला करो..
पर मोहब्बत शर्मसार न करो!

क्या रखा है मसला-ए-ज़िन्दगी में..
बस मोहब्बत के आबशार में हमाम करो!


तारीख: 09.04.2024                                    प्रीति महावर









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