दौर

ये वो दौर है जो जिन्दगी को जीने के मायने सीखा रहा है।
ये वो दौर है जो बनाये हमारे समाज के कई नियमों को आईना दिखा रहा है।
ये वो दौर है जो दौड़ती जिन्दगी को चलना सीखा रहा है।
ये वो दौर है जिसे कोई नही चाहेगा फिर से बुलाना।
ये वो दौर है जो अपने-अपनो के साथ बिताए लम्हों को कोई भी ना चाहेगा भुलाना।
ये वो दौर है जिसमें बाहर ना निकलना ही जिम्मेदारी है।
ये वो दौर है जिसमें जो दौड़ते दौड़ते ठहर गया, उसी ने संभाली साझेदारी है।
संजोलो ये सारे लम्हे,
संभाल लो ये ख़ामोशी के रास्ते,
जी-भर के जी लो तुम इस दौर को,
क्योंकि आने वाला दौर फिर से भाग-दौड़ भरा होना है। 
आज अपने व अपनो को दे दो तुम वक्त, 
क्यूँकि कल फिर आने वाले दौर में कर्म-पथ पर अग्रसर रहना है।
 


तारीख: 09.04.2024                                    सोनल ओमर









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