मैं वही हूँ

तपते रेगिस्तान में छांव हो महसूस,जहाँ, मैं वही हूँ, 
पतझड़ की बहार में एक टुकड़ा वसंत का, हो महसूस जहाँ, मैं वहीं हूँ.

जीवन के कंटीले सफर में, सुकून का छोटा पल हो महसूस जहाँ, मैं वहीं हूँ.

दु:खों की आंधी में हिम्मत और हौंसला हो महसूस जहाँ, मैं वहीं हूँ.

अनजाने शहर में ठोकर लगे पावों को, संभल कर चलने में राह हो महसूस जहाँ, मैं वहीं हूँ

गमों से हो नम जब आंखे तुम्हारी, खुशी का एक कतरा हो महसूस जहाँ ,मैं वहीं हूँ.

कपडों की इस्त्री में जब पड़े कोई सिलवटें, चेहरे पर  मधुर मुस्कान हो महसूस जहाँ, मैं वहीं हूँ.

बेगानों की महफ़िल में जब चर्चा हो मित्रों की, 
सच्चे हमदम की आहट हो महसूस जहाँ, मैं वहीं हूँ.. 
दर्द हो जब माथे पर, बाम से राहत हो महसूस जहाँ, मैं वहीं हूँ.
जीवन के हर पल में मैं यही ं कहीं हूँ, तेरे साथ हूँ.


तारीख: 05.02.2024                                    रेखा पारंगी









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